अम्बर में घिर आए घन
पछुआ चलती सनन सनन
मेघों ने छेड़ा जीवन राग
पुष्पों में खिल आए पराग
हर्षित धरती का हर कण
पछुआ चलती सनन सनन
नाचे मयूर हिय उठे हिलोर
गरज तरज घन हुए विभोर
जड़-जंगम पावस में प्रसन्न
पछुआ चलती सनन सनन
वर्षा से जन -जन का मन ख़ुश
लो ! खिला गगन में इन्द्र धनुष
अब बाल - वृन्द भी हुआ मगन
पछुआ चलती सनन सनन
***
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,मीना दी।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (06-04-2022) को चर्चा मंच "अट्टहास करता बाजार" (चर्चा अंक-4392) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
कल की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आदरणीय शास्त्री जी सर ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 6 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्
रचना को पाँच लिंकों का आनन्द में सम्मिलित करने के लिए सादर आभार पम्मी जी ।
हटाएंवर्षा ऋतु का अप्रतिम चित्रण!
जवाब देंहटाएंहार्दिक स्वागत एवं आभार अनीता जी !
हटाएंअभी तो मुंबई में बारिश का नामो-निशान नहीं है लेकिन आप की मधुर वर्षा गीत ने तन को भिगो दिया और मन...शीतल हो गया। बहुत ही सुंदर भावाभिव्यक्ति, सादर नमन मीना जी
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी । सादर सस्नेह नमन !
हटाएंवर्षा से जन -जन का मन ख़ुश
जवाब देंहटाएंलो ! खिला गगन में इन्द्र धनुष
अब बाल - वृन्द भी हुआ मगन
पछुआ चलती सनन सनन... सहज ही बहती भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
सादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी । सादर सस्नेह …,
हटाएंवाह!बाल वृंद भी हुआ मगन ...बहुत खूब !सुंदर भावों से सजी रचना ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी । सादर सस्नेह नमन !
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