tag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post8464148087288102834..comments2024-03-26T15:40:20.950+05:30Comments on मंथन: "गंगा"Meena Bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-9963165569787505632020-02-13T10:05:55.008+05:302020-02-13T10:05:55.008+05:30आपको कहानी अच्छी लगी...लेखनी सफल हुई । आपकी सुन्दर...आपको कहानी अच्छी लगी...लेखनी सफल हुई । आपकी सुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हृदयतल से हार्दिक आभार प्रिय रेणु बहन ! सस्नेह...Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-61450444517417541342020-02-12T23:14:59.209+05:302020-02-12T23:14:59.209+05:30बहुत ही मार्मिक कथा प्रिय मीना जी | गंगा का पहाड़...बहुत ही मार्मिक कथा प्रिय मीना जी | गंगा का पहाड़ की ओर लौटना अपनी जड़ों से प्रेम को दर्शाता है , अन्यथा कोई एक बार जड़ों से कटकर कहाँ उनसे जुड़ पाता है | कथित संभ्रांत वर्ग अपने वारिसों को अपनी विरासत सँभालने की शिक्षा ही कहाँ दे पाता है ? अगर वे संस्कारों का मूल्य समझते तो सूनी पडी हवेलियाँ और घर आज आबाद होते | जिसने अपनी भावी संतति को विरासत की महता नहीं समझाई वे विरासत को जमोंदोज़ कर भीड़ का हिस्सा बनकर रह गये | बड़ी सरल और सहज शैली में कहानी में भावों का प्रवाह बहुत लाजवाब है | सस्नेह रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-3211612654800776432020-02-11T17:11:39.980+05:302020-02-11T17:11:39.980+05:30अभिभूत हूँ कुसुम जी आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया पा क...अभिभूत हूँ कुसुम जी आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया पा कर ।<br />लघुकथा का मर्म स्पष्ट करती समीक्षा के लिए हृदय से आभार ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-50574925953251255862020-02-11T17:04:17.577+05:302020-02-11T17:04:17.577+05:30लेखन सार्थक हुआ आपकी दुर्लभ प्रतिक्रिया से... हृदय...लेखन सार्थक हुआ आपकी दुर्लभ प्रतिक्रिया से... हृदयतल से आभार सर !Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-33949672144418134972020-02-11T13:56:50.217+05:302020-02-11T13:56:50.217+05:30दिल को व्यथित कर देने वाली उम्दा रचना दिल को व्यथित कर देने वाली उम्दा रचना गगन शर्मा, कुछ अलग साhttps://www.blogger.com/profile/04702454507301841260noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-51598341692432346362020-02-11T13:38:57.146+05:302020-02-11T13:38:57.146+05:30अंतर मन को छू गई ये लघुकथा मीना जी ।
एक गंगा के म...अंतर मन को छू गई ये लघुकथा मीना जी । <br />एक गंगा के माध्यम से दूसरी गंगा का दर्द लिखा है आपने, और इतना सहज और मन तक उतरता लेखन है मानों स्वयं गंगा द्रवित हो बह गयी हो।<br />इस कथा की जितनी प्रशंसा करूं कम ही होगी।<br />कैसे पहाड़ी क्षेत्र,या अपनी जड़ों से दूर आ जाते हैं लोग पर जड़ नहीं जमा पाते ,कुछ लौट जाते हैं 'गंगा ' की तरह कुछ बस 'गंगा' की तरह अपने अस्तित्व बचाने की अथक लड़ाई लड़ते रहते हैं ।<br />बहुत बहुत सुंदर सृजन।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-22572460466642195372020-02-11T10:20:31.398+05:302020-02-11T10:20:31.398+05:30सराहनीय अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा...सराहनीय अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-1574816933952213212020-02-11T10:14:32.424+05:302020-02-11T10:14:32.424+05:30वाह!मीना जी ,खूबसूरत संदेश देती हुई लाजवाब रचना । ...वाह!मीना जी ,खूबसूरत संदेश देती हुई लाजवाब रचना । <br />शुभा https://www.blogger.com/profile/09383843607690342317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-66574738411412239162020-02-11T08:21:30.133+05:302020-02-11T08:21:30.133+05:30लेखन का मर्म स्पष्ट करती आपकी सुन्दर सार्थक समीक्ष...लेखन का मर्म स्पष्ट करती आपकी सुन्दर सार्थक समीक्षा से लघुकथा को सार्थकता मिली सुधा जी । बहुत बहुत आभार आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-82349116935813946912020-02-11T08:17:16.823+05:302020-02-11T08:17:16.823+05:30"पाँच लिंकों का आनन्द" में मेरे सृजन को ..."पाँच लिंकों का आनन्द" में मेरे सृजन को साझा करने के लिए सहृदय आभार रविन्द्र सिंह जी ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-53629429835206437252020-02-11T06:31:03.976+05:302020-02-11T06:31:03.976+05:30दो पैसे की चाह में आ ही जाती हैं कोई गंगा पहाड़ों स...दो पैसे की चाह में आ ही जाती हैं कोई गंगा पहाड़ों से मैदानों तक ....पर वापस जाने का फैसला लेना भी हर गंगा में नहीं होता....आजकल गंगा की तरह कितनी ही गंगाएं मैदानों में आकर अपना स्ववरूप खो चुकी हैं...आपकी गंगा बहुत ही बेहतर है<br />बहुत सुन्दर संदेश देती सार्थक प्रस्तुति।Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-40204066355351084672020-02-11T00:26:45.366+05:302020-02-11T00:26:45.366+05:30नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों क...नमस्ते,<br /><br /><i><b> आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 11 फरवरी 2020 को साझा की गयी है.........<a href="http://halchalwith5links.blogspot.in/" rel="nofollow"> पाँच लिंकों का आनन्द पर </a>आप भी आइएगा....धन्यवाद! </b></i>Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-49881264334582720572020-02-11T00:25:12.637+05:302020-02-11T00:25:12.637+05:30आपकी और शशिभाई की सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से रच...आपकी और शशिभाई की सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से रचना का मान बढ़ा ...हृदयतल से आभार मीना जी !Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-43176299142128851912020-02-10T23:10:54.473+05:302020-02-10T23:10:54.473+05:30इस लघुकथा को पढ़कर बिल्कुल वही बात मेरे मन में भी आ...इस लघुकथा को पढ़कर बिल्कुल वही बात मेरे मन में भी आई जो शशिभाई ने कही। कहानी में हल्के फुल्के ढंग से बहुत गंभीर संदेश दे दिया आपने !!!Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-45077071419912840772020-02-10T22:24:50.157+05:302020-02-10T22:24:50.157+05:30उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ग...उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार गुरमिन्दर सिंह जी ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-27048240583233295882020-02-10T22:23:32.306+05:302020-02-10T22:23:32.306+05:30रचना पर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक ...रचना पर आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शशि भाई ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-26687882049939808272020-02-10T21:40:01.579+05:302020-02-10T21:40:01.579+05:30उम्दा रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ।उम्दा रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ।Gurminder Singhhttps://www.blogger.com/profile/13707851279688762620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-68562553941667334912020-02-10T20:40:07.222+05:302020-02-10T20:40:07.222+05:30 अच्छा हुआ गंगा वापस लौट गयी..
अब हमारी पतित पाव... अच्छा हुआ गंगा वापस लौट गयी..<br /><br /> अब हमारी पतित पावनी गंगा भी वापस स्वर्ग को प्रस्थान कर जाए तो यह उसके लिए उत्तम है क्योंकि उसे स्वच्छ करने के नाम पर अरबों रुपए भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गए हैंं।<br /><br />इस गंगा की आत्मा की उसी तरह से तड़प रही होगी जैसे उस गंगा की जो अपना पहाड़ी इलाका छोड़ महानगर आ गई थी।<br />बहुत सुंदर भावना पूर्ण रचना है मीना दी आपकीव्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-81235600616987775602020-02-10T20:34:01.007+05:302020-02-10T20:34:01.007+05:30चर्चा मंच की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित के लि...चर्चा मंच की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित के लिए हृदयतल से आभार कामिनी जी ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-44690781148603364712020-02-10T20:31:50.223+05:302020-02-10T20:31:50.223+05:30हार्दिक आभार विकास जी लेखन सफल हुआ आपकी प्रतिक्रिय...हार्दिक आभार विकास जी लेखन सफल हुआ आपकी प्रतिक्रिया पा कर । पहाड़ों का जीवन सरल सादा और निश्छल होता है जो मन के करीब लगता है ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-27473141072968247832020-02-10T20:20:27.676+05:302020-02-10T20:20:27.676+05:30सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्च...सादर नमस्कार ,<br /><br />आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(11-02-2020 ) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">" "प्रेमदिवस नजदीक" "(चर्चा अंक - 3608)</a> पर भी होगी<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />आप भी सादर आमंत्रित है <br />...<br />कामिनी सिन्हाKamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-55954281253308847802020-02-10T19:06:25.579+05:302020-02-10T19:06:25.579+05:30सुंदर लघु-कथा। गंगा की मनोस्थिति मैं समझ सकता हूँ ...सुंदर लघु-कथा। गंगा की मनोस्थिति मैं समझ सकता हूँ क्योकि खुद पहाड़ों से आता हूँ इसलिए गाहे बगाहे दौड़कर पहाड़ों की गोद मे चला जाता हूँ। आपकी लघु-कथा मन को छू लेती है। आभार।विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-5697964611879317382020-02-10T15:46:26.792+05:302020-02-10T15:46:26.792+05:30रचना का मर्म स्पष्ट करती आपकी समीक्षा ने सृजन का म...रचना का मर्म स्पष्ट करती आपकी समीक्षा ने सृजन का मान बढ़ाया कामिनी जी । बात आपके हृदय तक पहुंची मेरा लेखन सफल हुआ । सस्नेह आभार आपका ।Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-66429195902203178202020-02-10T15:11:06.141+05:302020-02-10T15:11:06.141+05:30"गंगा है अम्मा , विदा लेने आई थी ।”
-- कह... "गंगा है अम्मा , विदा लेने आई थी ।” <br /> -- कहाँ जा रही है ? बाहर निकलते हुए उन्होंने पूछा।<br />-- वापस पहाड़ पर अम्मा ! <br />--क्यों ….?<br />--यहाँ उसका अस्तित्व खो रहा है अम्मा । मैंने उदास सा जवाब दिया ।<br />एक छोटी सी कथा के माध्यम से आपने कितनी गहरी बात कह दी ,पहाड़ों से उतर कर गंगा मलिन ही तो हो जाती हैं ,प्रशंसा में शब्द नहीं हैं मेरे पास , सादर नमस्कार आपको और आपकी लेखनी को Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7939827358839786858.post-53484905730774865642020-02-10T12:44:13.809+05:302020-02-10T12:44:13.809+05:30"सांध्य मुखरित मौन" में मेरे सृजन को साझ..."सांध्य मुखरित मौन" में मेरे सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।<br />Meena Bhardwajhttps://www.blogger.com/profile/02274705071687706797noreply@blogger.com