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गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

“दिल से दिल तक”

उस दिन बातें करते-करते
एक छोटी सी बात 
बड़ा समन्दर बन आ खड़ी हुई 
हमारे बीच ..,
किनारे के उस छोर पर
तुम्हें असमंजस में डूबा देख
मैंने हँसी का पुल बना लिया
अपने दरमियाँ…
तुम्हें अपने पास बुला कर
ठीक किया ना ?
मेरे लिए तो इतना ही 
काफी है कि 
तुम्हारे दिल तक मेरी 
बात पहुँची
अच्छा लगा सुन कर
बाकी अपना क्या है?
अपने दिल में तो वैसे ही 
तुम्हारी स्मृतियाँ 
ब्लड ऑक्सीजन सी
बहती रहती हैं

                                                ***

 

18 टिप्‍पणियां:

  1. आहा दी,कितना गहन भाव मन पर डालती है आपकी लिखी पंक्तियां।
    सस्नेह प्रणाम दी।
    -------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ०५ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार श्वेता जी ! पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार । सस्नेह नमस्कार !

      हटाएं
  2. खूबसूरत अभिव्यक्ति से सुसज्जित बेहतरीन कविता।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार नीतीश जी ।

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  4. उत्तर

    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !

      हटाएं
  5. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह ! ' यह हँसी बहुत कुछ कहती है ' .. मीना जी, आपने बड़ी सहजता से वर्णन कर दिया उस खाई का जो अचानक मुँह फाड़े बीच में आ जाती है. और पाटने की कोई जुगत समझ नहीं आती .

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    उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की । हार्दिक आभार नूपुरं जी !

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  7. उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार हरीश जी !

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  8. तुम्हें असमंजस में डूबा देख
    मैंने हँसी का पुल बना लिया
    अपने दरमियाँ…
    बस ऐसे ही पुल पर सहजता से चलती जाती है गृहस्थी की गाड़ी...
    वाह!!!
    बहुत ही सुंदर अनकहे से भावों की लाजवाब अभिव्यक्ति।

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  9. आपकी अनमोल सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली सुधा जी ! हृदयतल से बहुत बहुत आभार ।

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  10. उत्तर

    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार मनोज भाई ।

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  11. उत्तर

    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"