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मंगलवार, 29 जून 2021

जी करता है किसी से मिलके देखें,


जी करता है किसी से आज मिलके देखें,

कर दें उन्हें हैरान सामने जा करके देखें ।


खैर न खबर उनकी बीते जमाने से,

अपनों से मिलें और बात करके देखें ।


उनको लगा कभी हम नहीं थे उनके साथ,

करते हैं वो कितना याद जाँच करके देखें ।


दोस्ती में मिला हमें बेमालूम सा एक नाम,

 तोहफे में उनका नाम उन्हीं पर रख करके देखें ।


झील के उस पार फिर निकलेगा पूरा चाँद,

फुर्सत बहुत है आज जरा टहल करके देखें ।


कौमुदी की छांव और परिजात के फूल,

दिल अजीज  मंज़र को जी भर करके देखें ।


 दोस्तों की महफिल में जरा बैठ करके देखें,

कुछ दिन अपनों के बीच बसर करके देखें ।


***




 

 


गुरुवार, 17 जून 2021

"नेह"

तुम्हारा नेह भी

हवा-पानी सरीखा  है

चाहने पर  भी 

पल्लू के छोर से

बंधता नहीं

बस…,

खुल खुल जाता है 

कभी-कभी…,

चुभ जाता है

कुछ भी

 अबोला सा बोला

जैसे कोई टूटा काँच…,

कुछ समय की

 खींचतान...

और फिर 

कुछ ही पल में

एक सूखी सी

 मुस्कुराहट…,

फर्स्ट एड का रुप धर

बुहार देती है मार्ग के

कंटक…,

कोई नाम नहीं

न ही कोई उपमा

अहं की सीमाएँ लांघ

निर्बाध बहता

तुम्हारे नेह का सागर

बिन बोले 

जता जाता है तुम्हारे

नेह की परिभाषा


***

गुरुवार, 10 जून 2021

"विभावरी"

                         

शुक्ल पक्ष की चाँदनी में

 भीगी रातें..,

जब होती हैं

अपने पूरे निखार पर

तब...

 रात की रानी 

मिलकर

 रजनीगंधा के साथ

टांक दिया करती हैं 

उनकी खूबसूरती और

मादकता में

चार चाँद ..

उन पलों के आगे

कुदरत का 

सारा का सारा

सौन्दर्य

ठगा ठगा

और

फीका फीका सा लगता हैं

फूलों का राजा

 गुलाब

 तो बस यूं हीं .., 

गुरूर में

ऐंठा-ऐंठा फिरा करता है ।


***