स्वर्णिम हो उठी वसुंधरा
ऊषा रश्मि आने के बाद
देख नेहामृत बरसता
प्रकृति मेंं जागा अनुराग
कैनवास सी रत्नगर्भा
बिखरे अनगिनत गुलमोहर
पाथ मॉर्निंग वाक का
स्मृति मंजूषा की धरोहर
सांझ की उजास में
खग वृन्द नीड़ लौटते
देख भानु आगमन
नीड़ फिर से छोड़ते
जीया तूने जितना भी वक्त
मुझ से पहले या मेरे साथ
अपने मन की तुम जानो
मुझे रहेगा सब कुछ याद
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जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14 -07-2019) को "ज़ालिमों से पुकार मत करना" (चर्चा अंक- 3396) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी
चर्चा मंच में मेरी रचना को मान देने के लिए आभार अनीता जी !
हटाएंवाह मीना जी प्रकृति के सुंदर समागम और स्मृतियाँ बहुत मोहक मन स्पर्शी रचना ।
जवाब देंहटाएंहृदय से स्नेहिल आभार कुसुम जी ! आपकी हौसला अफजाई सदैव रचना को मान व मुझे हर्ष प्रदान करती है ।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना रविवार १४ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर रचना सखी
जवाब देंहटाएंहृदय से स्नेहिल आभार सखी !
हटाएंकैनवास सी रत्नगर्भा
जवाब देंहटाएंबिखरे अनगिनत गुलमोहर
पाथ मॉर्निंग वाक का
स्मृति मंजूषा की धरोहर... बेहतरीन रचना मीना जी
बेहतरीन रचना..
जवाब देंहटाएंहृदय से आभार पम्मी जी !
हटाएंकैनवास सी रत्नगर्भा
जवाब देंहटाएंबिखरे अनगिनत गुलमोहर
पाथ मॉर्निंग वाक का
स्मृति मंजूषा की धरोहर... बहुत खूब मीना जी , बहुत दिनों बाद ऐसी रचना पढ़ने को मिली
आपकी अनमोल सराहना से रचना सार्थकता मिली अलकनंदा जी !🙏
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ओंकार जी 🙏
हटाएंकभी कभी कुछ साथ बिताये पल जीवन बन जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता प्रदान करती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार नासवा जी ।
जवाब देंहटाएंप्रकृति का बहुत ही सुंदर वर्णन, मीना दी।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार ज्योति जी !
हटाएंबहुत सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है प्रकृति वर्णन को मीना दी।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना से रचना को सार्थकता मिली संजय जी !
हटाएंहृदय से बहुत बहुत आभार ।
जीया तूने जितना भी वक्त
जवाब देंहटाएंमुझ से पहले या मेरे साथ
अपने मन की तुम जानो
मुझे रहेगा सब कुछ याद..... मन की तड़प, यादों के साथ और समय के पार!!!
रचना को सार्थकता देती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार विश्वमोहन जी ।
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