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गुरुवार, 3 जुलाई 2025

पत्तियाँ चिनार की (अंतस् की चेतना)


बिखरी कड़ियों को समेटने की श्रृंखला में पत्तियाँ चिनार की (अंतस् की चेतना) मेरा तीसरा  पद्य-संग्रह ,जिसमें सौ-सौ की संख्या में क्षणिकाएँ,त्रिवेणी एवं हाइकु संग्रहित हैं प्रकाशित हुआ है । ब्लॉगिंग संसार के  विज्ञजनों के साथ मेरी बौद्धिक यात्रा का पथ सुखद और सार्थक रहा, इसके लिए  हृदय की असीम गहराइयों के साथ ब्लॉगिंग संसार के सभी साथियों का  आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करती हूँ ।प्रकाशित पुस्तक पत्तियाँ चिनार की (अंतस् की चेतना) के कुछ 

अंश -

“क्षणिका”


तिहाई का शिखर छू कर बनना तो था

शतकवीर ..,

मगर  वक़्त का भरोसा कहाँ था ?

कठिन रहा यह सफ़र …,

“निन्यानवें के फेर में आकर चूक जाने की”

बातें बहुत सुनी थीं ।

🍁


“त्रिवेणी”


अच्छा लगता है मुझे सागर तट पर देर तक बैठना

लहरों के शोर और सागर की गर्जन से तादात्म्य रखना.., 


 बाहर-भीतर की साम्यता मेरे भीतर तटस्थता भरती है ।

🍁


“हाइकु”


गोधूलि बेला -

घोंसले में लौटता

पक्षी का जोड़ा ।

🍁


“मीना भारद्वाज”


16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचनाएँ है । शीर्षक भी बड़ा प्यारा है । अलग - अलग बँटी होकर भी चिनार की ये पत्तियाँ आपस में जुड़ी हुई एक है , वैसे ही क्षणिकाओं , त्रिवेणियों और हाइकु से मिलकर बना यह रचना - संग्रह एक चैतन्य अन्तस के भावबोध से संपन्न है ।

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    1. आपकी सारगर्भित सराहना से सृजनात्मकता का मान बढ़ा, हार्दिक आभार एवं धन्यवाद सहित सादर नमस्कार प्रिया जी 🙏

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  2. “निन्यानवें के फेर में आकर चूक जाने की”
    गहन चिंतन
    साधुवाद

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    उत्तर
    1. आपकी उपस्थिति और सराहना सम्पन्न आशीर्वचन से मन अभिभूत हुआ ।हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार सर 🙏

      हटाएं
  3. “निन्यानवें के फेर में आकर चूक जाने की”
    गहन चिंतन
    साधुवाद
    सादर

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  4. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन

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  5. सचमुच दी पुस्तक नाम बेहद लुभावना है।
    जितना शीर्षक सुंदर है उतनी ही ज्यादा
    रचनाएँ लाज़वाब होंगी हम जानते हैं।
    बहुत सारी बधाईयाँ दी।
    सस्नेह.
    सादर।
    ----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ४ जुलाई २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  6. दिल से असीम आभार एवं धन्यवाद प्रिय श्वेता!आपकी ऊर्जात्मक स्नेहिल सराहना मन प्रफुल्लित कर देती है । पाँच लिंकों का आनन्द के आमंत्रण के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  7. क्षणिकाओं, हाइकु और त्रिवेणी से सजी आपकी तीसरी पुस्तक के प्रकाशन पर बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ प्रिय मीना जी ।

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  8. दिल से असीम आभार एवं धन्यवाद प्रिय अनीता !स्नेहिल नमस्कार 🙏

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  9. सुंदर संकलन का नाम और विचार
    बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  10. आपकी उपस्थिति और शुभकामनाओं से मन अभिभूत हुआ ।हार्दिक आभार सहित सादर नमस्कार नासवा जी !

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"