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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

"प्रश्न"

कुछ दिन से मन उदास
और अभिव्यक्ति‎ खामोश है
समाज में असुरक्षा की सुनामी ने
सोचों का दायरा संकुचित और
जीवन पद्धति का प्रतिबिम्ब
धुंधला कर दिया है
कोमलकान्त पदावली के साथ
प्रकृति और जीवन दर्शन
में उलझा मन कुछ भी
कह पाने में असमर्थ है
क्या यही है मेरी संस्कृति
जो कन्या को देवी मान
नवरात्र में चरण पूजती है
और यत्र नार्यस्तु पूज्यते
रमन्ते तत्र देवता कह कर
नारी सम्मान का
आह्वान करती है
विश्व के सब से बड़े
लोकतन्त्र का यह
कैसा रूप हो गया है
नारी का रक्षक मानव
दानव सदृश्य हो गया है

XXXXX

20 टिप्‍पणियां:

  1. भारत में नारी का स्थान हमारे शास्त्रो में बहुत अच्छा है. परन्तु वास्तविक स्थिति बिलकुल अलग है .एक पुरुष का अपनी माँ, बहन, पत्नी, बेटी से अलग-अलग व्यवहार करता है. इसके पीछे दकियानुसी मानसिकता काम कर रही है. नारी का समाज में उतना की महत्व है जितना शरीर में रीढ़ की हड्डी का होता है।

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  2. विवेक हमें यही सीख देता है कि बुराई का त्याग करें अच्छाई का वरण करें . सद्गुणों की अवहेलना मन को व्यथित तो करती ही है .

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  3. आपकी लिखी रचना आज के "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 15 एप्रिल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. भूल सुधार.. "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 22 एप्रिल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार यशोदा जी "पांच लिंकों का आनन्द में" मेरी रचना को सम्मिलित कर सम्मान‎ देने हेतु ."पांच लिंकों का आनन्द में" मंच से जुड़ सदैव हर्ष की अनुभूति होती है.

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  5. गंभीर चिंतन की आवश्यकता है मीना जी।
    पर शायद समाज में हावी बाज़ारवाद ने हमारे सोचने समझने का दायरा संकुचित कर दिया है।
    सारगर्भित रचना आपकी बहुत सुंदर👌

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  6. बहुत दिनों बाद आपकी उपस्थिति‎ ने मन प्रफुल्लित कर दिया श्वेता जी . हृदयतल से आभार आपका इतनी सुन्दर और चिन्तन‎परक प्रतिक्रिया‎ के लिए .

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  7. आज के समय पर सारगर्भित रचना. पतन की ओर बढ़ते कदम और स्त्री को भोग की वस्तु मानने वाला समाज आज अपने आप पर तरस खा रहा है . न जाने कंहा अंत होगा .
    सादर

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    1. अपर्णा जी स्वागत!आपकी प्रथम प्रतिक्रिया हेतु.वास्तव में यह चिन्ता‎जनक स्थिति है जो नैतिक सुधार चाहती है. आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया‎ के लिए‎ हृदयतल से आभार.

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  8. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/04/66.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार राकेश जी."मित्र मंडली" से जुड़ कर सदैव उत्साहवर्धन होता है .

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  9. बहुत सुन्दर रचना समाज पतन की ओर बढ़ रहा हो तो मन का दुखी होना स्वाभाविक है।
    कवी मन तो वैसे भी कोमल होता है। मन को छू गई आप की रचना।

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  10. हौसला अफजाई के लिए हृदयतल से आभार नीतू जी .

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  11. बहुत सुन्दर, सार्थक एवं समसामयिक प्रस्तुति...
    नारी की स्थिति चिन्तनीय है....सही कहा कि जिस देश में कन्यापूजन में कन्याओं को देवीस्वरूप मानकर पूजा जाता है वहीं ऐसी घटनाएं.....
    बहुत लाजवाब अभिव्यक्ति...

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  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  13. प्रिय मीना जी --नारी विमर्श की बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना | सचमुच शिक्षित समाजका चेहरा कुछ ज्यादा ही विद्रूप हो चला है | नारी सशक्तिकरण की पोल खोलती घटनाएँ झझकोर जाती हैं | चिंतन परक रचना | सस्नेह --

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    1. प्रिय रेणु जी ! आपकी अपनत्व भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया‎ सदैव उत्साहवर्धन करती है.हृदयतल से आभार. सस्नेह.

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"