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मंगलवार, 26 नवंबर 2024

“वक़्त”

मैंने बचपन से कहा -

“चलो ! बड़े हो जाए !”

उसने दृढ़ता से जवाब दिया - 

ऐसा मत करना ! 

अगर हमारे बीच 

बड़प्पन की दरार आई तो 

एक दिन खाई बन जाएगी 

 तुम्हें पता तो है -

खाई को पाटना तुम्हारे और मेरे लिए

कितना मुश्किल हो जाएगा 

क्योंकि..,

“गया वक़्त दुबारा नहीं लौटता ।”


🍁


शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

हाइकु

क्षिlतिज पार -

शक्रचाप को देख 

रवि मुस्काया ।



हरी दूब में -

तिनके बटोरती

नन्ही गौरैया ।



रिक्त गेह में -

नीम पर चहके

नव जीवन ।



प्यासा पपीहा -

ताके नभ की ओर

भरी धूप में ।



ढलती साँझ -

सागर की गोद में

सोया सूरज ।


***

बुधवार, 6 नवंबर 2024

“जीवन “



कभी-कभी सोचती हूँ 

जीवन क्या है ?

एक रंगहीन सा 

ख़ाली कैनवास …,

जिसको जन्म से साथ लेकर 

पैदा होता है इन्सान

समय के साथ..,

अनुभवों से लबरेज़ 

अनगिनत रंग भरी  कटोरियाँ 

उम्र भर..,

इसके  फलक पर निरन्तर 

ढुलकती रहती हैं 

और फिर…,

तैयार होती है -

कुदरत की अद्भुत,अकल्पनीय 

आर्ट-गैलरी ..,

जिसमें समाहित है 

अपने आप में विविधताओं से परिपूर्ण 

अनेकों लैण्डस्केप..,

 प्रकृति में यह प्रक्रिया अनवरत

बिना रूके , बिना गतिरोध 

चलती रहती है 

शायद..,

इसी का नाम जीवन है 


***