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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

"विविधा"(सेदोका)

अलग अलग मूड से लिखे सेदोका , भावाभिव्यक्ति में विविधता लिए …., इसलिए शीर्षक “विविधा” उचित लगा ।

क्षितिज पार
छिटकी अरुणिमा
जीव जगत जागा
अभिनन्दन
कलरव ध्वनि से
भोर की उजास में

मौन का स्पर्श
स्नेहसिक्त सम्बल
गढ़ता पहचान
निज नेह की
खामोशी की जुबान
अक्सर बोलती है

मिटती नही
वैचारिक दूरियाँ
कैसी मजबूरियाँ
देती हैं क्लेश
कि खत्म नही होते
आपसी मनभेद

       ✍️✍️

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

"नीन्द"(हाइकु)

दौड़ धूप में
आकुल व्याकुल सा
गुजरा दिन

थकी सी रैना
नाराज सी निंदिया
बेकल नैना

दूर व्योम में
धुंधले चंदा तारे
नींद में सारे

ओ री पगली !
सुन बात हठीली
आ मेरी गली

थपकी देती
मदिर पुरवाई
भोर  ले आई

,✍️✍️

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2019

"नमन"


माटी का रंग सुर्ख है….,
वसन्त में किसने बिखेर दिए
अनगिनत पलाश के फूल
ठूंठ से गाछ
धूसर सी फिजायें..,
यकायक कहीं आवाज गूँजी
एक घृणित साजिश में....,
मातृभूमि के रक्षक….,
शहीद हुए …, घायल हुए…,
जब से सुनी है यह बात
मन व्यथित और उदास है
सवाल बहुत हैं मन में
मगर जवाब किस के पास है
टूटते क्यों नही वे हाथ
जो नर संहारी जाल बुनते हैं
अनुत्तरित से सवाल जब
देखो मन मथते हैं
बलिदानी थे  वो वीर
माटी का कर्ज उतार चले
अखण्ड रहे भारत का सम्मान
कर न्यौछावर वे अपने प्राण चले






पुलवामा मे शहीद हुए  CRPF के जवानों को अश्रु पूरित श्रद्धांजलि 🙏🙏

मंगलवार, 12 फ़रवरी 2019

"हद"

कहने की भी हद होती है ।
सहने की भी हद होती है ।।


चुभती हैं सब शूल सरीखी ।
तुम से बातें जब होती हैं ।।


अपनी पर कोई आए तो ।
चुप की सीमा कब होती है ।।


कम ही तो ऐसा होता है ।
मन की बातें अब होती है ।।


जब भी खुलती मन की गठरी ।
कड़वाहट ही तब होती है ।।

                 XXXXX

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

"वसन्त"(हाइकु)

आया वसन्त
ले मृदुल बयार
मनभावन

फूली सरसों
स्वर्णिम गोधूम
खिले पलाश


वीणा धारिणी
जननी जन्मोत्सव
वसन्तोत्सव

रंगों के साथ
छिड़़े फागुन राग
होली त्यौहार

प्रकृति नृप
हुलसित करता
सृष्टि के प्राण


             XXXXX

सोमवार, 4 फ़रवरी 2019

“औरत”

रात कब की हो गई ।
थक गई वह सो गई ।।

जागती रहती सदा ।
थकन हावी हो गई ।।

चन्द्रमा की चाँदनी ।
ओढ़नी सी हो गई ।।

छोड़ बाबुल आंगना ।
भूल अपने को गई ।।

नेह का सागर बनी ।
आप खारी हो गई ।।

ओस की सी बूँद वह ।
धूप में आ खो गई ।।

भागती रहती सदा ।
सांस सब की हो गई।।


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