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शुक्रवार, 15 मार्च 2024

कविताएँ

अनुभूतियों की गठरी में बंधी

 जी रही हैं मेरी कविताएँ

 मेरे साथ-साथ 


ज़िद्दी बच्चे सी 

थामे आँचल का छोर

डोलती रहती हैं 

मेरे आगे-पीछे,मेरे साथ-साथ 


फ़ुर्सत के लम्हों में 

जब सोचती हूँ करना इन्हें साकार 

तो  सरक कर धीमे से

फिसल जाती हैं इधर- उधर


शब्द  थक हार जाते हैं  

इनकी मनुहार करते-करते


कोई बात नहीं…,

अपनी हैं , अपनी ही रहेंगी

मुझ में रम कर देती हैं 

मुझको सुकून..,

जिस दिन ले लेंगी अपना रूप

सबको अपनापन देंगी

***

 

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हृदयतल से हार्दिक आभार आ. यशोदा जी ! सादर नमस्कार 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 17 मार्च 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार आ . यशोदा जी ! सादर नमस्कार 🙏

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  3. फ़ुर्सत के लम्हों में

    जब सोचती हूँ करना इन्हें साकार

    तो सरक कर धीमे से

    फिसल जाती हैं इधर- उधर
    सच में यही तो होता है हर समय मन में कुलबुलाती कविताएं फुर्सत के वक्त जाने कहाँ फिसल जाती हैं।
    बस सही कहा
    कोई बात नहीं…,
    अपनी हैं , अपनी ही रहेंगी
    जब आयेंगी तो सबको अपनापन देंगी क्योंकि वो सबके मन की हैं..
    बहुत ही लाजवाब।

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  4. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार सुधा जी ! सादर नमस्कार 🙏

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  5. उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार 🙏

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  6. उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार हरीश जी ! सादर नमस्कार 🙏

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  7. उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार 🙏

      हटाएं
  8. उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार सर ! सादर नमस्कार 🙏

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  9. वाह!मीना जी ,बहुत खूबसूरत सृजन।

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  10. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार शुभा जी ! सादर नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  11. अनुभूतियों की गठरी में बंधी

    जी रही हैं मेरी कविताएँ

    मेरे साथ-साथ




    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहनीय प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हृदय तल से हार्दिक आभार मनोज जी ! सादर नमस्कार 🙏

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"