तुम इतने चुप क्यों रहते हो ?
मन ही मन में क्या सहते हो ?
सब में शामिल अपने में गुम ।
उखड़े-उखड़े से दिखते हो ।।
टूटा है यदि दिल तुम्हारा ।
गम की बातें कह सकते हो ।।
मन में अपने ऐंठ छुपाए ।
सब से सुन्दर तुम लगते हो ।।
लगते हो तुम मलयानिल से ।
जब अल्हड़पन से हँसते हो ।।
आगे बहुत अभी है चलना ।
थके थके से क्यों दिखते हो ।।
होते हो जब सामने मेरे ।
मुझको अपने से लगते हो ।।
( कभी एक गज़ल सुनी थी "इतनी मुद्दत बाद मिले हो " और वह इतनी खूबसूरत लगी कि मेरे मन से इस गज़ल का सृजन हुआ)
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