मुस्कुराहट लबों पर, सजी रहने दीजिए ।
ग़म की टीस दिल में, दबी रहने दीजिए ।।
छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए
राय हो न पाए अगर ,कहीं पर मुक्कमल।
मिलने-जुलने की रस्म,बनी रहने दीजिए ।।
बिगड़ी हुई बात है,कल संवर भी जाएगी ।
लौ है उम्मीद की बस,जली रहने दीजिए ।।
फूल सी है ज़िंदगी, तो कांटे संग हजार।
कुदरत से बनी लकीर, खिंची रहने दीजिए
***
बहुत ख़ूब !
जवाब देंहटाएंउम्मीद पे दुनिया क़ायम है.
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर 🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 09 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसांध्य दैनिक मुखरित मौन में मेरे सृजन को साझा करने के लिए हार्दिक आभार दिव्या जी।
हटाएंबिगड़ी हुई बात है,कल संवर भी जाएगी ।
जवाब देंहटाएंलौ है उम्मीद की बस,जली रहने दीजिए ।।
वाह!!!!
क्या बात....
बहुत ही लाजवाब।
हटाएंउत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।
Kya gam hai jo dil me chupaue baithe ho hamne to gawa di apani puri jindgi ab ye raj apani kalam se hi kholo to hamari koshish kamyab ho sayad.
जवाब देंहटाएंमुस्कुराहट लबों पर, सजी रहने दीजिए ।
जवाब देंहटाएंग़म की टीस दिल में, दबी रहने दीजिए ।।
छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए
....बहुत-बहुत खूब!
उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार कविता जी!
हटाएंवाह बेहतरीन 👌
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार अनुराधा जी ।
हटाएं"लौ है उम्मीद की बस जली रहने दिजिए"बहुत खूब, लाजबाव सृजन मीना जी, सादर नमन
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार कामिनी जी । सादर नमन!
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार दिलबाग सिंह जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर !
हटाएंवाह!बहुत ख़ूब दी ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता !
हटाएंछलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
जवाब देंहटाएंदृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए..मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।
छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
जवाब देंहटाएंदृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए...मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।
उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी ।
हटाएंछलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
जवाब देंहटाएंदृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए
..मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।
बहुत उम्दा मीना जी अर्थपूर्ण अस्आर ,सभी शेर बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार कुसुम जी ।
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अमृता जी ।
हटाएंराय जुदा हो तो संभावनाएं बनी रहनी चाहियें ... सही सटीक भाव ... और ज़रूरी भी है ये आशा बनी रहने देना ... अच्छे शेर हैं ...
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ नासवा जी!
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