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बुधवार, 9 दिसंबर 2020

मुस्कुराहट लबों पर...

                           

मुस्कुराहट लबों पर, सजी रहने दीजिए ।

ग़म की टीस दिल में, दबी रहने दीजिए ।।

 

छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।

दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए


 राय हो न पाए अगर ,कहीं पर मुक्कमल।

मिलने-जुलने की रस्म,बनी रहने दीजिए ।।


बिगड़ी हुई बात है,कल संवर भी जाएगी ।

लौ है उम्मीद की बस,जली रहने दीजिए ।।


 फूल सी है ज़िंदगी, तो कांटे संग हजार

 कुदरत से बनी लकीर, खिंची रहने दीजिए


***

30 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूब !
    उम्मीद पे दुनिया क़ायम है.

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    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर 🙏

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 09 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सांध्य दैनिक मुखरित मौन में मेरे सृजन को साझा करने के लिए हार्दिक आभार दिव्या जी।

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  3. बिगड़ी हुई बात है,कल संवर भी जाएगी ।

    लौ है उम्मीद की बस,जली रहने दीजिए ।।

    वाह!!!!
    क्या बात....
    बहुत ही लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर

    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।

      हटाएं
  4. मुस्कुराहट लबों पर, सजी रहने दीजिए ।

    ग़म की टीस दिल में, दबी रहने दीजिए ।।



    छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।

    दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए

    ....बहुत-बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार कविता जी!

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार अनुराधा जी ।

      हटाएं
  6. "लौ है उम्मीद की बस जली रहने दिजिए"बहुत खूब, लाजबाव सृजन मीना जी, सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार कामिनी जी । सादर नमन!

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  7. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए बहुत बहुत आभार दिलबाग सिंह जी ।

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  8. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर !

      हटाएं
  9. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ सर !

      हटाएं
  10. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता !

      हटाएं
  11. छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
    दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए..मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।

    जवाब देंहटाएं
  12. छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
    दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए...मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार जिज्ञासा जी ।

      हटाएं
  13. छलक उठी हैं ठेस से, अश्रु की कुछ बूंद ।
    दृग पटल पर ज़रा सी,नमी रहने दीजिए
    ..मनोहारी पंक्तियाँ..।सुंदर कृति..।

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत उम्दा मीना जी अर्थपूर्ण अस्आर ,सभी शेर बेहतरीन।

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  15. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार कुसुम जी ।

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  16. राय जुदा हो तो संभावनाएं बनी रहनी चाहियें ... सही सटीक भाव ... और ज़रूरी भी है ये आशा बनी रहने देना ... अच्छे शेर हैं ...

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ नासवा जी!

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"