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गुरुवार, 26 जनवरी 2023

“प्रभात बेला”

 


ऊषा रश्मि  की चंचल चितवन,

देख धरा मुस्कुराई ।


सिमटी - ठिठुरी तुषार चादर,

रवि ने ली अंगड़ाई ।


भ्रमर पुंज की गुनगुन सुनकर,

कलियाँ भी इठलाई ।


द्विज वृन्दों की मिश्रित सरगम,

नव जागृति ले लाई ।


विटप ओट कूदा मृग शावक,

पात शाख लहराई ।


तीखी तीर सी शीत समीरण,

धूप कुनकुनी छाई ।


गणतन्त्र की बेला अति शुभ, 

साथी बहुत बधाई ।


🍁


🌹🙏गणतन्त्र दिवस एवं बसन्त पञ्चमी की हार्दिक

शुभकामनाएँ 🌹🙏

जय हिन्द !! जय भारत !!


गुरुवार, 19 जनवरी 2023

“धूप”

( Click by me )


हाथ बढ़ा कर 

तुषार की मलमल सी

 चादर से ..,

छन कर आती

उजली हँसी सी धूप को

 अँजुरी में भर कर 

रखना तो चाहती हूँ अपने आस-पास

लेकिन..,

भोर की भाग-दौड़

और व्यस्त सी दिनचर्या से

चुरा के फ़ुर्सत के दो पल

मैं जब तक..,

पहुँचती हूँ खिड़की के पास

 तब तक ..,

वह भी नाराज सखी सी 

चली जाती है 

इमारतों के झुण्ड

या फिर ..,

पेड़ों के झुरमुट की ओट में ..॥ 


***



रविवार, 8 जनवरी 2023

“क्षणिकाएँ”


लोकल ट्रेन के मुसाफ़िरों की तरह

इमारतों की भीड़ में

खड़े हैं कुछ पेड़ 

किंकर्तव्यविमूढ़ और सहमे से

बढ़ती भीड़ को देख कर

तय नहीं कर पा रहे कि अब 

कितना और सिमटे ॥


***


अक्सर मैं 

हाथ की लकीरों में

तुम्हें ढूँढा करती हूँ 

क्या पता …,

गूगल मैप की तरह इनमें 

तुम्हारी कोई 

निशानदेही कहीं मिल ही जाए ॥


***


चाँद भी रचता है 

कविताएं..

जब धवल चाँदनी में लिपटा

उतरता है , 

नीलमणि सी जलराशि में

तब ..

लहर लहर में 

खिल उठते हैं 

नीलकमल सरीखे शब्द ॥


***