आप अपने मन की सुना कीजिए ।
और सच के मोती चुना कीजिए ।।
क्यों उलझते हैं तेरे मेरे के फेर में ।
बहते दरिया की तरह से बहा कीजिए
हम.मिलते तो कभी कभी हैं ।
मगर लगता दिल से यही है ।।
साथ है हमारा कई जन्मों से ।
सच है ये कोई दिल्लगी नही है ।।
जीने का शऊर आ गया तेरे बिन
तूने भी.सीख लिया जीना मेरे बिन
जरूरी है आनी दुनियादारी भी
जिन्दगी काटनी मुश्किल इस के बिन
जिन्दगी काटनी मुश्किल इस के बिन
गिरना संभलना , संभल कर चलना
रोज नये हुनर सिखाती जिन्दगी ।
नित नई भूलों से , नित नये पाठ
समय के साथ सिखाती जिन्दगी ।।
XXXXXXX