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सोमवार, 27 मार्च 2023

“क्षणिकाएँ”


भोर से सांझ तक .. 

एक आलस भरा दिन

 मुट्ठी से रेत सा

निकल गया..

चलो ! अच्छा है 

ज़िन्दगी के रजिस्टर में

एक दिन और..

दिहाड़ी का पूरा हुआ ।


*


समय की शाख से टूट कर 

एक पल.,,

चुपके से आ गिरा सिरहाने पर

ऐसे समय में

रात की साम्राज्ञी को 

ठाँव कहाँ..

बेचारी बेघर सी भटकती 

रहेगी अब

दृग पटल के इर्द-गिर्द ।


*


मंगलवार, 14 मार्च 2023

“मैत्री”


सूरज की सोहबत में

लहरों के साथ दिन भर

गरजता उफनता रहा 

समुद्र ..

साँझ तक थका-मांदा 

जलते अंगार सा वह जब

जाने को हुआ अपने घर

 तो..

बिछोह की कल्पना मात्र से ही

बुझी राख सा धूसर 

हो गया सारे दरिया का

 पानी …

चलते -चलते मंद स्मित के साथ 

सूरज ने स्नेहिल सी सरगोशी की

बस..

रात , रात की ही तो बात है 

मैं फिर आऊँगा

माणिक सी मंजूषा में कई रंग लिए

कल..

हम फिर से निबाहेंगे वही

अनादि काल से चली आ रही 

 परिपाटी ।


***

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

“त्रिवेणी”


आँगन की माटी और छत की मुँडेरों से

गौरैयाओं के परिवार कहीं खो गए है ..,


लुप्त प्रजाति की सूची में प्रेम अब सबसे ऊपर है 

                  

🍁


फ़ुर्सत के पलों में तेरे गली-कूचों में 

भटकता फिरता है़ ख़ामोश मन..,


उम्र भर के नेह की बात जो ठहरी ।


🍁


तुमसे मिलना ख़्वाबों में ही हुआ करेगा

बिछड़ते वक़्त यह सोचा नहीं था..,


मुद्दतें हुईं अपने बीच के सभी पुल ढहे ।


🍁