सूरज की सोहबत में
लहरों के साथ दिन भर
गरजता उफनता रहा
समुद्र ..
साँझ तक थका-मांदा
जलते अंगार सा वह जब
जाने को हुआ अपने घर
तो..
बिछोह की कल्पना मात्र से ही
बुझी राख सा धूसर
हो गया सारे दरिया का
पानी …
चलते -चलते मंद स्मित के साथ
सूरज ने स्नेहिल सी सरगोशी की
बस..
रात , रात की ही तो बात है
मैं फिर आऊँगा
माणिक सी मंजूषा में कई रंग लिए
कल..
हम फिर से निबाहेंगे वही
अनादि काल से चली आ रही
परिपाटी ।
***
बहुत सुंदर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से बहुत बहुत आभार नीतीश जी !
जवाब देंहटाएंबिछोह की कल्पना मात्र से ही
जवाब देंहटाएंबुझी राख सा धूसर
हो गया सारे दरिया का
पानी …
सुन्दर बिम्बों के साथ लाजवाब सृजन
वाह!!!
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सुधा जी !
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
वाह!!!
जवाब देंहटाएंरात , रात की ही तो बात है
मैं फिर आऊँगा
माणिक सी मंजूषा में कई रंग लिए
कल..
हम फिर से निबाहेंगे वही
अनादि काल से चली आ रही
परिपाटी ।
हृदय झंकृत करती रचना
हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सधु चन्द्र जी !
हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (16-3-23} को "पसरी धवल उजास" (चर्चा अंक 4647) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ! सादर सस्नेह वन्दे!
हटाएंअति सुंदर बिंबों से सुसज्जित सारगर्भित अभिव्यक्ति दी।
जवाब देंहटाएंप्रकृति जीवन के हर प्रश्न का कितनी उत्तर सहजता से देती है न...।
सादर स्नेह।
जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १७ मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
सत्य कथन श्वेता ! प्रकृति वास्तव में अपने आप में बहुत बड़ी शिक्षक है । सुन्दर सार्थक अनमोल प्रतिक्रिया हेतु एवं पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने हेतु हृदय से असीम आभार । सस्नेह..।
जवाब देंहटाएंप्रकृति एक लय में निभाती रहती है अपने सारे वादे, मानव के जीवन से ही छ्न्द विदा हो गया है जैसे
जवाब देंहटाएंहृदयतल से धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार नीतीश जी ।
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार आ.ओंकार सर जी ।
जवाब देंहटाएंमाणिक सी मंजूषा में कई रंग लिए
जवाब देंहटाएंकल...
भावों और एहसासों का अद्भुत संप्रेषण। सुंदर रचना।
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार जिज्ञासा जी !
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