लीक पर चलती
पिपीलिका..
एकता-अनुशासन और
संगठन की प्रतीक है
आज हो या कल
बुद्धिजीवी उनकी
कर्मठता का लोहा मानते हैं
प्रकृति के चितेरे सुकुमार कवि
सुमित्रानंदन पंत जी ने भी कहा है-
"चींटी को देखा?
वह सरल, विरल, काली रेखा
चींटी है प्राणी सामाजिक,
वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक।"
कविता याद करते समय
एक खुराफाती प्रश्न
मन में अक्सर उभरता था
मगर…,
काम के बोझ में डूबी माँ
और होमवर्क की कॉपियों में
डूबी शिक्षिका की
हिकारत भरी नज़रों से
बहुत डरता था
है तो धृष्टता..,
लेकिन आज भी
मेरे मन में यह बात
खटकती है
और प्रश्न बन बार-बार उभरती है
प्रश्नों का क्या ?
किसी के भी मन में आ सकते हैं
मैं इस धृष्टता के लिए
क्षमा चाहती हूँ
और अपना वही पुराना
घिसा-पीटा सा प्रश्न
दोहराती हूँ
पिपीलिका अगर लीक पर
चल कर भी..
साहस और लगन की प्रतीक है
तो…,
लीक पर चलने वाला इन्सान
क्यों"लकीर का फकीर" है
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【चित्र-गूगल से साभार】