मेरी खातिर
नैसर्गिक आनंद
माँ का आंचल
माँ मेरे लिए
बरगद की छांव
था तेरा अंक
सुन मेरी माँ
मुझे लगे बेगाना
जग का मेला
जीवन मेरा
मंझधार की नैया
बिन तेरे माँ
अश्रुपूरित
यादोँ के पुष्प
माँ को अर्पित
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अनुभूति और चिन्तन सदैव जीवन का हिस्सा रहे लेकिन शब्दों में ढालने का ख्याल बहुत लम्बे अर्से के बाद आया, अपनी यात्रा में आपको साझी बना कर कुछ क्षणों के लिए अपनी दुनिया में ले जा पाई तो मेरा लिखना सफल हुआ।