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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

"उस पार"


भरे उर मे बैचनियाँ
शफरियों को ढूँढता
सागर के उस पार
मांझियों का कारवां

तप्त भानु रश्मियाँ
उमस की दुश्वारियाँ
संजोए मन में आस
गीत गुनगुना रहा

कुछ जागे कुछ सोये
नम दृगों की ओट से
झांकते मुठ्ठी भर ख्वाब
निज अस्तित्व टटोलते


सुखद आगत ढूँढती
झोपड़ियाँ खैपरल की
तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
तम में उजास खोजती

      XXXXX



42 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी भीने भीने अहसास लिये।

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    1. उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।

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  2. कुछ जागे कुछ सोये
    नम दृगों की ओट से
    झांकते मुठ्ठी भर ख्वाब
    निज अस्तित्व टटोलते....बहुत सुन्दर प्रिय मीना बहन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हौसला अफजाई के लिए स्नेहिल आभार प्रिय अनीता ।

      हटाएं
  3. बहुत सुन्दर किन्तु उदास करने वाला शब्द-चित्र !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रशंसा पाकर रचना सार्थक हुई 🙏 🙏

      हटाएं
  4. तम में उजास खोजती ,पंक्तियां सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. ख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं ... शब्द-चित्रों का ताना-बाना लाजवाब है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  6. आपकी लिखी रचना रविवार 14 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "पाँच लिकों का आनन्द" में मेरी रचना को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।

      हटाएं
  7. कुछ जागे कुछ सोये
    नम दृगों की ओट से
    झांकते मुठ्ठी भर ख्वाब
    निज अस्तित्व टटोलते बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  8. सुखद आगत ढूँढती
    झोपड़ियाँ खैपरल की
    तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
    तम में उजास खोजती
    बहुत सुन्दर.... लाजवाब...।

    जवाब देंहटाएं
  9. तम में उजास ढूढना --- क्या कहने

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/117.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "मित्र मंडली" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक
      आभार राकेश जी ।

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  11. वाह ! क्या शब्द शिल्प है !!! मौलिक कल्पना, लाजवाब सृजन।

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    उत्तर
    1. बहुत समय के बाद आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया मेरे लिए सुखद अनुभूति है मीना जी । सस्नेह आभार ।

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  12. सुखद आगत ढूँढती
    झोपड़ियाँ खैपरल की
    तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
    तम में उजास खोजती.... वाह! हर छंद अपनी स्वच्छंदता की विलक्षणता में विचरण करता!!!!

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    उत्तर
    1. आप जैसे गुणीजन की सराहना से सृजन को सार्थकता मिली विश्वमोहन जी । सादर आभार ।

      हटाएं
  13. हार्दिक धन्यवाद अंकुर जी ।

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  14. बहुत ही उम्दा सृजन, मीना दी।

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  15. अति सुंदर अभिव्यक्ति अभिनंदन ।

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  16. बहुत ही सुंदर रचना मीना जी ,सादर

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  17. सुखद आगत ढूँढती
    झोपड़ियाँ खैपरल की
    तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
    तम में उजास खोजती

    सुन्दर पंक्तियाँ

    जवाब देंहटाएं
  18. वाह!..निशब्द.....ख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं

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    उत्तर
    1. अनमेल प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार संजय जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"