उस दिन बातें करते-करतेएक छोटी सी बातबड़ा समन्दर बन आ खड़ी हुईहमारे बीच ..,किनारे के उस छोर परतुम्हें असमंजस में डूबा देखमैंने हँसी का पुल बना लियाअपने दरमियाँ…तुम्हें अपने पास बुला करठीक किया ना ?मेरे लिए तो इतना हीकाफी है कितुम्हारे दिल तक मेरीबात पहुँचीअच्छा लगा सुन करबाकी अपना क्या है?अपने दिल में तो वैसे हीतुम्हारी स्मृतियाँब्लड ऑक्सीजन सीबहती रहती हैं
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आहा दी,कितना गहन भाव मन पर डालती है आपकी लिखी पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंसस्नेह प्रणाम दी।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ०५ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार श्वेता जी ! पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से आभार । सस्नेह नमस्कार !
हटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति से सुसज्जित बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार नीतीश जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
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हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !
जवाब देंहटाएंवाह ! ' यह हँसी बहुत कुछ कहती है ' .. मीना जी, आपने बड़ी सहजता से वर्णन कर दिया उस खाई का जो अचानक मुँह फाड़े बीच में आ जाती है. और पाटने की कोई जुगत समझ नहीं आती .
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की । हार्दिक आभार नूपुरं जी !
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से आभार हरीश जी !
हटाएंतुम्हें असमंजस में डूबा देख
जवाब देंहटाएंमैंने हँसी का पुल बना लिया
अपने दरमियाँ…
बस ऐसे ही पुल पर सहजता से चलती जाती है गृहस्थी की गाड़ी...
वाह!!!
बहुत ही सुंदर अनकहे से भावों की लाजवाब अभिव्यक्ति।
आपकी अनमोल सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली सुधा जी ! हृदयतल से बहुत बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंअनुपम कृति
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हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार मनोज भाई ।
बहुत सुन्दर रचना
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हटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली, हृदयतल से सादर आभार सर !