(1)
मीलों लम्बी बातें जब चलती हैं तो रुकती नही ,
रील में बन्धे धागे सी खुलती ही चली जाती हैं ।
बरसों साथ जीया वक्त लम्हों में कहाँ सिमटता है ।।
(2)
कुछ जान-पहचान वक्त के हाथों ,
वक्त के साथ , हाथों से फिसल जाती है ।
मुट्ठी में बन्द रेत टिकती कहाँ है ।।
XXXXX
कहने को कुछ बचा ही नहीं एक एक नज्म दिल का कोई ना कोई तार छेडने वाली !!
जवाब देंहटाएंआपकी हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से आभार संजय जी .
जवाब देंहटाएंकुछ जान-पहचान वक्त के हाथों ,
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ , हाथों से फिसल जाती है ।
मुट्ठी में बन्द रेत टिकती कहाँ है ।।------ वाह !!!!!!!! अति सुंदर !!!
सस्नेह अति आभार रेणु जी .
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