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सोमवार, 28 सितंबर 2020

"सीख"

अन्तर्मन से एक

 आवाज़ आई

कुछ कहना है...

चुप !!

विवेक ने तुरन्त 

कस दी नकेल

और...

 दे डाली एक सीख

जब प्रकृति ने 

संरचना में दिये

सुनने को दो कान..

देखने को दो आँख…

और

बोलने को एक जीभ 

तो कुछ तो देख 

समझ के सीख

 सत्य वचन..

दाँतों की लाडली

यह तो..

बोल कर निकल लेती है

चंचल जो ठहरी

और..उसके बाद बेचारा मन

 झेलता है..

झाड़ू की सींक से

बातों के चाबुक

जो पड़ते दिखते तो नही

बस..

अपने निशां छोड़ जाते हैं

---

 

30 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 28 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सांध्य दैनिक मुखरित मौन में रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ।

      हटाएं
  2. ये निगोड़ी जीभ -

    रहिमन जिह्वा बावरी कह गयी सुरग पताल

    आप तो कह के घुस गयी जूता खाय कपाल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सत्य कथन सर !आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।

      हटाएं
  3. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-9 -2020 ) को "सीख" (चर्चा अंक-3839) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सर ।

      हटाएं
  5. वाह! बहुत ही सुंदर सीख शब्दों को कहा पता होता है? आघात कितना गहरा होता है...सराहनीय सृजन दी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन सफल हुआ प्रिय अनीता । अनमोल प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार ।

      हटाएं
  6. सटीक संदेश। जीभ को वश में रखना बहुत जरूरी है।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार मीना जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर। कब बोलना है कब नहीं यही सीखने में कई बार पूरा जीवन लग जाता है। यह सीख लिया तो कई परेशानियाँ हल हो जाएँ। आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी।

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  9. रहिमन जिह्वा बावरी, कह गई सरग-पाताल
    आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सत्य कथन सर !आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।

      हटाएं
  10. कुछ तो देख
    समझ के सीख
    सत्य वचन..


    प्रेरक कविता पंक्तियां....अच्छी कविता

    बधाई एवं शुभकामनाएं ❤🍁❤

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  11. कृपया मेरी इस पोस्ट का अवलोकन करने और उस पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने का कष्ट करें। इसमें आप भी शामिल हैं।

    http://varshasingh1.blogspot.com/2020/10/blog-post_1.html?m=0

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका स्नेह और मान ऊर्जा भर देता है लेखनी मेंं । मैं अवश्य उपस्थित रहूंगी वर्षा जी🙏🙏

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"