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गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

" त्रिवेणी"

( 1 ) गीली रेत पर कभी उकेरी थी एक तस्वीर ।
समेट ले गई सब कुछ वक्त की लहर ।

बस कुछ शंख सीपियों के निशान बाकी हैं ।।

( 2 ) कभी कभी बेबाक हंसी ।
बेलगाम झरने सरीखी होती है ।

गतिरोध आसानी से हट जाया करते हैं ।।

( 3 ) आज कल बोलने का वक्त है ।
कहने सुनने से आत्मबल बढ़़ जाता है ।

मछली बाजारों में बातें कहां शोर ही सुनता है ।।
XXXXX

29 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ख़ूब ...
    हर त्रिवेणी लाजवाब ... नया मोड़ देती हुयी तीसरी पंक्ति लनवाब है ...

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  2. बहुत सुंदर,
    शायद ही आज कोई त्रिवेणी लिख रहा हो।आपकी शानदार रचना देख कर इस विधा की कामयाबी का एहसास हुआ गुलज़ार साहब की याद आ गयी।
    आभार

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए । गुलज़ार साहब को पढना मुझे बेहद पसंद है । आज भी उनका लिखा चाहे गद्य में हो या पद्य में मिल जाए तो जरूर पढ़ती हूं । लेखन के क्षेत्र में उनका योगदान बेमिसाल है। मेरी त्रिवेणियों ने आपको उनकी याद दिलाई यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए ।

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  3. सार्थक चिंतन से प्रवाहमान त्रिवेणी.

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    1. बहुत बहुत आभार रविन्द्र सिंह जी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया के लिए।

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  4. किसी भी चीज के लिए 'वातावरण' महत्वपूर्ण है। इसी से परिणाम का आकलन किया जा सकता है।
    एक अद्भुत रचना प्रस्तुत किया आपने ।

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    1. स्वागत आपका "मंथन" पर , आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से धन्यवाद प्रकाश जी।

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  5. आपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 20 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. "साप्ताहिक मुखरित मौन" में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी।

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  6. वाह...
    त्रिवेणी लिखने का चलन नहीं रहा अब साब... यही सब बातें सुनने को मिलतीं हैं आजकल, पर दाद देनी पड़ेगी मैम इस प्रतिभा की। बहुत ही ख़ूबसूरत

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    1. अमित जी आप सब की सराहना मिली मेरा लिखना सफल हुआ। आपकी प्रतिक्रिया हृदय छू गई । तहेदिल से धन्यवाद आपका ।

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. मछली बाजारों में बातें कहां शोर ही सुनता है ।।
    लाजवाब त्रिवेणी लिख रही है आजकल..... मीना जी

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    1. हृदय से आभार संजय जी , आपकी प्रतिक्रियाएं सदैव बेहतर लिखने के लिए उत्साहित करती हैं ।

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  9. बहुत सुंदर , आजकल ये विधा कम ही पढने को मिलती है

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    1. आपका कथन सत्य है,बहुत बहुत धन्यवाद सराहना हेतु ।

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  10. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/10/92-93.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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    1. "मित्र मंडली" में रचना "त्रिवेणी" को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद राकेश जी ।

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  11. सुंदर प्रयोग कर रही हैं मीना जी आप नई विधाओं में सभी दुरुस्त और अच्छी प्रस्तुति । बधाई।

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    1. आपकी प्रतिक्रिया मनोबल संवर्धक है कुसुम जी । हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूं ।

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"