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शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

"अक्सर"

अक्सर खामोश लम्हों में
किताबें भंग करती हैं
मेरे मन की चुप्पी…
खिड़की से आती हवा के साथ
पन्नों की सरसराहट
बनती है अभिन्न संगी…
पन्नों से झांकते शब्द
सुलझाते हैं मन की गुत्थियां
शब्द शब्द झरता है पन्नों से
हरसिंगार के फूल सा…
नीलगगन में चाँद
बादलों की ओट से झांकता
धूसर सा लगता है…
कशमकश के लम्हों में
एक खामोश सी नज़्म
साकार हो उठती है अहसासों में
बस उसी पल…
प्रभाकर की अनुपस्थिति में
पूर्णाभा के साथ
मन आंगन में..सात रंगों वाला…
इन्द्र धनुष खिल उठता है 

★★★

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 01 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" रचना साझा करने के लिए सादर आभार यशोदा जी ।

      हटाएं
  2. मैंने अभी आपका ब्लॉग पढ़ा है, यह बहुत ही शानदार है।
    Bhojpuri Song Download

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  4. चर्चा मंच पर रचना साझा करने के लिए सस्नेह आभार अनीता जी ।

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  5. मेरे मन की चुप्पी…
    खिड़की से आती हवा के साथ
    पन्नों की सरसराहट
    बनती है अभिन्न संगी…
    वाह,क्या शब्द फूटे है बहुत खूबसूरत सुंदर भावों का सयोजन पढ़कर आनन्द आ गया :)

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न उर्जावान प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से धन्यवाद संजय जी ।

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  6. पन्नों से झांकते शब्द
    सुलझाते हैं मन की गुत्थियां
    शब्द शब्द झरता है पन्नों से
    हरसिंगार के फूल सा…

    शब्द -शब्द दिल के पन्नो पर अंकित हो गया ,बहुत खूब... मीना जी ,सादर नमस्कार

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    1. आपकी अपनत्व भरी प्रतिक्रिया पाकर लेखन सार्थक हुआ कामिनी बहन । सस्नेह नमस्कार !

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  7. मन को सुकून से लबरेज करती बहुत ही प्यारी रचना मीना जी ।
    सरस मोहक।

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    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है कुसुम जी!आपके स्नेह यूं ही बना रहे । सादर आभार ।

      हटाएं
  8. पन्नों से झांकते शब्द
    सुलझाते हैं मन की गुत्थियां
    शब्द शब्द झरता है पन्नों से
    हरसिंगार के फूल सा…
    वाह!!!
    मन की गुत्थियां सुलझाते शब्द ....
    बहुत ही सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया पा कर लेखन सार्थक हुआ सुधा जी । तहेदिल से आभार आपका ।

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  9. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार लोकेश जी ।

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"