नीरवता के दौरान…
काम-काज की खटपट के साथ
किसी पेड़ से
पक्षी की टहकार
एकांत का ...
वाद्ययन्त्र लगता है
क्योंकि इससे जीवन राग
जो गूंजता है…
एज्यूकेशन एंड वर्क फ्रॉम होम ने
अवधारणा पुष्ट की है...
सामाजिक और वैश्विक दूरियों में
ग्लोबल विलेज के अस्तित्व की
कोरोना आपदा काल ने
बहुत कुछ बदला है...
इन्सान के जीने का ढंग
सोचने समझने का नजरिया
अनुकूल पर्यावरण और
प्रतिकूल भुगतान संतुलन
साथ ही सीखा दी है...
विकट परिस्थितियों से
उबरने की अद्भुत ताकत
***
बहुत सार्थक चिंतन देती सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंस्तरीय का उदघोष।
सादर आभार कुसुम जी ! आपको गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 22 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"सांध्य दैनिक मुखरित मौन" में रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार सर । गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तूति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
हटाएंकोरोना आपदा काल में
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ बदला है...
इन्सान के जीने का ढंग
सोचने समझने का नजरिया
अनुकूल पर्यावरण और
प्रतिकूल भुगतान संतुलन
साथ ही सीखा दी है...
विकट परिस्थितियों से
उबरने की अद्भुत ताकत
बहुत सटीक...
सचमुच कोरोना आपदा काल ने बहुत कुछ सिखाया है
सुन्दर सार्थक एवं लाजवाब सृजन।
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर और सार्थक रचना सखी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सखी !
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (24अगस्त 2020) को 'उत्सव हैं उल्लास जगाते' (चर्चा अंक-3803) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
रचना को चर्चा मंच की चर्चा में सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आ.रविंद्र सिंह जी .
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर.
हटाएं"साथ ही सीखा दी है...
जवाब देंहटाएंविकट परिस्थितियों से
उबरने की अद्भुत ताकत"
बिलकुल सही कहा आपने,शायद,इसी लिए बड़े बूढ़े कहते थे कि"-हर बिपदा हमें कुछ समझने सिखाने भी आता है"
बहुत ही सुंदर सृजन मीना जी,सादर नमस्कार
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी!सादर वन्दे!
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंनीरवता के दौरान…
जवाब देंहटाएंकाम-काज की खटपट के साथ
किसी पेड़ से
पक्षी की टहकार
एकांत का ...
वाद्ययन्त्र लगता है
क्योंकि इससे जीवन राग
जो गूंजता है…मन को छूती बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय मीना दी।
सादर
सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर 🙏
हटाएंआ मीना भारद्वाज जी, बहुत अच्छी रचना!अनुकूल वातावरण और प्रतिकूल भुगतान संतुलन! लाजवाब अभिव्यक्ति!--ब्रजेन्द्रनाथ
जवाब देंहटाएंआ.ब्रजेन्द्रनाथ सर, उत्साहवर्धन करती अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंसच है बहुत कुछ बदला है इस काल ने ... सोचने समझने और कार्य करने का नया दृष्टिकोण आया है और जैसी सोच वैसा व्यंहार ... गहरी रचना ...
जवाब देंहटाएंरचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर रचना ।
हटाएंहार्दिक आभार उर्मिला जी ।
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