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गुरुवार, 10 जून 2021

"विभावरी"

                         

शुक्ल पक्ष की चाँदनी में

 भीगी रातें..,

जब होती हैं

अपने पूरे निखार पर

तब...

 रात की रानी 

मिलकर

 रजनीगंधा के साथ

टांक दिया करती हैं 

उनकी खूबसूरती और

मादकता में

चार चाँद ..

उन पलों के आगे

कुदरत का 

सारा का सारा

सौन्दर्य

ठगा ठगा

और

फीका फीका सा लगता हैं

फूलों का राजा

 गुलाब

 तो बस यूं हीं .., 

गुरूर में

ऐंठा-ऐंठा फिरा करता है ।


***

36 टिप्‍पणियां:

  1. वाह!गज़ब दी।
    मुग्ध करता सृजन।
    सादर

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    उत्तर
    1. हृदय से असीम आभार आदरणीय प्रिय अनीता जी ।
      स्नेह बनाए रखें।

      हटाएं
  2. बहुत सुंदर रचना,मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिल से आभार आदरणीय ज्योति बहन।
      स्नेह बनाए रखे।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला । हार्दिक आभार सर!

      हटाएं
  4. रात की रानी

    मिलकर

    रजनीगंधा के साथ

    टांक दिया करती हैं

    उनकी खूबसूरती और

    मादकता में

    चार चाँद ..

    बहुत खूब,ये नज़ारा मैंने भी देखा...उस पल के नजारे के आगे सचमुच गुलाब फीका लगता है...मीना जी, आपने तो मेरे बचपन की याद दिला दी जब रजनीगंधा और रातरानी महका करती थी मेरे बगीचे में,आपकी कविता के माध्यम से मैं फिर से उस पल की खुशबु और मादकता को महसूस कर पा रही हूँ..बेहद प्यारी रचना..बहुत बहुत आभार आपका बीते लम्हों से मिलवाने के लिए ,सादर नमन मीना जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. लेखन सफल हुआ प्रिय कामिनी जी आपकी इतनी सुन्दर प्रतिक्रिया पाकर । हृदयतल से असीम आभार । सादर नमन।

      हटाएं
  5. भीगी रातों का सौन्दर्य और गुलाब का गुरूर ...
    खूबसूरत कल्पना है ... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया से लेखनी सफल हुई । हार्दिक आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  6. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१२-०६-२०२१) को 'बारिश कितनी अच्छी यार..' (चर्चा अंक- ४०९३) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी।

      हटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर,रात का सौन्दर्य चांद की सुंदरता और गुलाब का ऐंठना,मन का ठगा जाना स्वाभाविक है

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना पाकर लेखन सफल हुआ । हार्दिक आभार भारती जी!

      हटाएं
  8. बहुत सुंदर ! गुलाब भले ही गुलाब हो पर रात की उस मदहोशी का आलम ही कुछ और होता है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन सार्थक हुआ आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से..,,बहुत बहुत आभार सर !

      हटाएं
  9. फूलों का राजा

    गुलाब

    तो बस यूं हीं ..,

    गुरूर में

    ऐंठा-ऐंठा फिरा करता है ।---वाह बहुत ही अच्छी रचना है मीना जी...।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार संदीप जी ।

      हटाएं
  10. प्रकृति ने किसी को सौंदर्य दिया है, किसी को रंग दिया है, किसी को खुश्बू दी है और किसी को आकार दिया है....सभी किसी एक हिस्से नहीं हैं, हम प्रकृति रचने वाले उस परमात्मा को समझें तो हम खोए ही रह जाएंगे उस तत्व के सत तक पहुंच ही नहीं पाएंगे क्योंकि कितने रंग कितनी खुश्बू कितने आकार, कितने पत्ते, कितने फूल....ओह और हम इंसान....। बहुत खूबसूरत रचना के लिए खूब बधाई आपको मीना जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी गहन समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हृदयतल से असीम आभार ।

      हटाएं
  11. सच और खरा सा सच...यही है...। बहुत अच्छी रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  12. वाह मीना जी! मुग्ध कर दिया आपके अप्रतिम भाव सृजन ने।
    रात रानी महकती भी ऐसे हैं और उस पर सीली सी चाँदनी रात, गजब का सौंदर्य बोध बेचारा राजा भी ठगा रह जाता है ,रानी के सौंदर्य के सामने ।
    शानदार बिंब।
    अप्रतिम सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  13. आपकी प्रतिक्रिया सदैव नवऊर्जा का संचार कर लेखनी का मान बढ़ाती है और मन मे सृजन के प्रति नव उत्साह का संचार करती है। बहुत बहुत सा आभार कुसुम जी । सस्नेह वन्दे ।

    जवाब देंहटाएं
  14. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार सखी!

      हटाएं
  15. रजनीगंधा के साथ

    टांक दिया करती हैं 

    उनकी खूबसूरती और

    मादकता में

    चार चाँद ..

    बहुत ही लाजवाब सृजन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार अनुज।

      हटाएं
  16. खूबसूरत अभिव्यक्ति,बहुत बधाई मीना जी ।

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार जिज्ञासा जी!

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  17. बहुत सुंदर मीना जी। कोई संदेह नहीं है इसमें कि आपने प्रकृति के उस सौंदर्य को जो रात्रि में ही अनुभूत होता है, अपने शब्दों में जीवंत कर दिया है।

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी!

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  18. वाह बहुत ही सुंदर एवं सारगर्भित रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत समय के बाद आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया मिली ।
      हार्दिक आभार 🙏

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"