दिन की गठरी से चुरा कर
थोड़ा सा समय..,
अपने लिए रखने की आदत
एक गर्भनाल से
बाँध कर रखती रही है
हमें..,
जब से तुम्हारे समय की गठरी की
गाँठ खुली है
हम एक-दूसरे के लिए अजनबी
से हो गए हैं
पलट कर देखने पर हमारा
जुड़ाव …,
बीते जमाने की
बात सा लगने लगा है
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