कभी कहीं पढा था दीवारें मौन होती हैं.बचपन से आज तक सुनती आयी हूँ दीवारों के कान होते हैं.मेरा मन दीवारों के बारे मे कुछ और ही सोचता है.
लोग कहते हैं
दीवारों के कान होते हैं
हाँ सच है....
दीवारों के भी कान होते हैं
मगर दीवारों के जुबान भी होती है
दीवारें बोलती हैं तो हर तरफ
खामोशी की चादर पसरी होती है
तब केवल आपके
अन्तर्मन की आवाज बोलती है
दीवारें तब बोलती है तो आपका
एकाकीपन आपके साथ होता है
दीवारों का बोलना आपके
अन्तर्मन का बोलना होता है
बडी शर्मिली होती है दीवारें
खामोशी में बात करती हैं
इनके केवल कान नही होते
इनकी जुबान भी होती है
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- "मीना भारद्वाज"