Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

"नेह के धागे"

चाँदनी में भीगे चाँद ने
खुले आसमान से
शीतल बयार के संग
कानों में सरगोशी की
आँखें खुली तो देखा
भोर का तारा
छिटपुट तारों के संग
आसमान से झांक रहा था
कुछ नेह के धागे थे
जो खुली पलकों की चिलमन पे
यादों की झालर बन अटके थे
चाँद की ओट में चाँद के साथ
कितनी ही बातें थी
कुछ आपबीती कुछ जगबीती
अरुणिम अरुणोदय के साथ ही
ख्वाबों की तन्द्रा बिखर गई
यादों की गठरी में सिमट गई
सब बातें कही या अनकही


XXXXX

6 टिप्‍पणियां:

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"