जड़े चाहे पेड़ की हों या इन्सान की कटे तो तकलीफ होती है....बहुत सुन्दर ,सार्थक अभिव्यक्ति....
तहेदिल से शुक्रिया सुधा जी .
Hello Mam Do you want Publish your bookContact through above link for more details
Thanks for contact to me.
वाह्ह..सहज सरल मन छूती अभिव्यक्ति मीना जी।सुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी .
तकलीफ तो होती ही है ... कुछ भी कटे ... फिर जड़ें तो बहुत ही गहेई होती हैं ...
आप सही कहते है..,यही चिन्तन इस छोटी सी रचना का सृजन करवा गया आपकी हौंसला अफजाई का तहेदिल से शुक्रिया .
जड़ें चाहे पेड़ की हो या इन्सान की कटे तो तकलीफ ही होती है ।कितनी हकीक़त है आपके शब्दों में यूँ लगता है जैसे जिंदगी को शब्दों में समेट दिया हो किसी ने
आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया सदैव और बेहतर लेखन की ओर प्रेरित करती है संजय जी . बहुत बहुत धन्यवाद .
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏 - "मीना भारद्वाज"
जड़े चाहे पेड़ की हों
जवाब देंहटाएंया इन्सान की कटे तो
तकलीफ होती है....
बहुत सुन्दर ,सार्थक अभिव्यक्ति....
तहेदिल से शुक्रिया सुधा जी .
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हटाएंवाह्ह..सहज सरल मन छूती अभिव्यक्ति मीना जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता जी .
हटाएंतकलीफ तो होती ही है ... कुछ भी कटे ... फिर जड़ें तो बहुत ही गहेई होती हैं ...
जवाब देंहटाएंआप सही कहते है..,यही चिन्तन इस छोटी सी रचना का सृजन करवा गया आपकी हौंसला अफजाई का तहेदिल से शुक्रिया .
हटाएंजड़ें चाहे पेड़ की हो
जवाब देंहटाएंया इन्सान की कटे तो
तकलीफ ही होती है ।
कितनी हकीक़त है आपके शब्दों में यूँ लगता है जैसे जिंदगी को शब्दों में समेट दिया हो किसी ने
आपकी प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया सदैव और बेहतर लेखन की ओर प्रेरित करती है संजय जी . बहुत बहुत धन्यवाद .
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