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शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

।। मुक्तक ।।

  ( 1 )


तेरे सारे ख़त मैंने कल जला दिए ।
यादों के निशां दिल से मिटा दिए ।।
आज आकर फिर यूं  सामने मेरे ।
गुजरे पल फिर क्यों दोहरा दिए ।।
     
                 ( 2 )

मैं तुझ पे यकीन करूं कैसे ।
तुम्हारे मन को मैं जानूं कैसे ।।
वक्त चाहिए खुलने में गिरहें ।
है सब कुछ ठीक मानूं कैसे ।।


( 3 )

हम तुम्हारा यकीन कर लेते हैं ।
ख्वाब बंद आँखों में भर लेते हैं ।।
मत देना उम्र से लम्बा इन्तजार ।
हम भी दोस्ती का दम भर लेते हैं ।।

                 ( 4 )

रूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ ।
हुनर अपनी समझ का दिखाओ।।
आसान नहीं कोई भी मंजिल ।
अर्जमंदी से मंजिलें पा के दिखाओ ।।

            XXXXX


22 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !!!बहुत खूब 👌

    रूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ
    हुनर अपनी समझ का दिखाओ।
    आसान नहीं कोई भी मंजिल
    अर्जमंदी से मंजिलें पा के दिखाओ

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 11 नवम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका स्नेह और उत्साहवर्धन मेरे लिए अमूल्य है । 'पांच लिंकों का आनन्द में" मेरी रचना को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।

      हटाएं
  3. रूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ
    हुनर अपनी समझ का दिखाओ।
    ..... क्या कहने लाज़वाब सहज शब्दों में बात कह दी मीना जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. संजय जी आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया सदैव प्रोत्साहन प्रदान करती है मेरे लेखन की सराहना के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ ।

      हटाएं
  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/11/2018 की बुलेटिन, " सेर पे सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. "ब्लॉग बुलेटिन" में मेरी पोस्ट को मान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद शिवम् जी । आपकी हौसला अफजाई की मैंं हृदय से आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह बहुत खूबसूरत मुक्तक मीना जी अवसाद शिकायत और सलाह सभी कुछ समा गये इन छोटे मुक्तकों में।
    अप्रतिम

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया लेखन के प्रति उत्साहित रखती है कुसुम जी ।

      हटाएं
  7. बहुत सुन्दर मीना जी. एक पुराना नगमा याद आ गया -
    है इसी में प्यार की आबरू, वो जफ़ा करें, मैं वफ़ा करूं.'


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    उत्तर
    1. स्वागत व आभार आपकी प्रतिक्रिया का । मुझे खुशी है कि मैंने आपको ये गाना याद दिला दिया ।

      हटाएं
  8. वाह .।.
    सभी मुक्तक लाजवाब ... बातों की सहजता समेटे ...
    रूठो को
    मनाने का मज़ा अलग ही है ...

    जवाब देंहटाएं
  9. आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया अनमोल है मेरे लिए । मेरे लेखन की सराहना के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ ।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"