आस किरण
लिए अपनी आब
सुनहली आशाएँ
सजी दृगों में
बन के हसीं ख्वाब
जगाती नेह राग
मुस्कुराहट
छलकी अनायास
सूर्य आभा के साथ
निर्विघ्न खुले
मन की देहरी के
सांकल चढ़े द्वार
मन का दीया
मन की देहरी पे
प्रज्वलित हो कर
कितनी बार
जाकर जलता है
गत के उस पार
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 5 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहृदय से बहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 6 अगस्त 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसृजन को मान देने के लिए हृदयतल से आभार रविन्द्र जी ।
हटाएंबहुत ही सुंदर ... भावपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन सखी
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार प्रिय अनु ।
हटाएंसुंदर प्रयास सेदोका का
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए सादर आभार दी !
हटाएंदिया....गत के उस पार
जवाब देंहटाएंऐसी स्थिति को उचित शब्द अब तक नहीं मिले थे लेकिन अब तो शब्द भी मिले है वो भी उचित लहजे के साथ.
पधारें कायाकल्प
रचना में शब्द-विन्यास आपको अच्छा लगा उसके लिए तहेदिल से आभार ।
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अमित जी ।
हटाएंभाव पूर्ण सेदेको मन के गहरे एहसास, छलना है ऊपरी व्यवहार जिनसे स्वयं को भी चलता है इंसान ।
जवाब देंहटाएंगहन भाव लिए अप्रतिम सृजन मीना जी ।
कृपया सेदोका पढ़ें ।
हटाएंहृदय से आभार कुसुम जी आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए । सस्नेह ..
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना सखी सादर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए सस्नेह आभार सखी ! सादर...
हटाएंबहुत खूबसूरत सृजन !
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार शुभा जी ।
हटाएंमुस्कुराहट
जवाब देंहटाएंछलकी अनायास
सूर्य आभा के साथ
निर्विघ्न खुले
मन की देहरी के
सांकल चढ़े द्वार
बहुत ही लाजवाब सृजन...
वाह!!!
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंआस की किरण का हाथ थामें और मुस्कराहट लिए , मन की देहरी पर आस के दिए की रौशनी से जगमगाते सेदोका प्रिय मीना नी | एक और बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |
जवाब देंहटाएंरचना को सार्थकता और प्रवाह देती स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिज हार्दिक आभार रेणु जी । आपकी स्नेहमयी प्रतिक्रिया से लेखन के प्रति उत्साह द्विगुणित हो जाता है। सस्नेह..
हटाएंकई सन्दर्भ के साथ अर्थ दे रही है और यही है रचना की सफलता...लाजवाब सृजन...
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना भरी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली संजय जी । असीम आभार ।
हटाएंबहुत खूबसूरत सृजन !
जवाब देंहटाएंअनमोल प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार ।
हटाएंबहुत ही सुंदर पोस्ट लिखी है आपने रचना के लिए बहुत-बहुत आभार आपका
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका ब्लॉग पर..., आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
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