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शनिवार, 13 जुलाई 2019

"स्मृति मंजूषा"

स्वर्णिम हो उठी वसुंधरा 
ऊषा रश्मि आने के बाद
देख  नेहामृत बरसता
प्रकृति मेंं जागा अनुराग

कैनवास सी रत्नगर्भा
बिखरे अनगिनत गुलमोहर
पाथ मॉर्निंग वाक का
स्मृति मंजूषा की धरोहर

सांझ की उजास में
खग वृन्द नीड़ लौटते
देख भानु आगमन
नीड़ फिर से छोड़ते

जीया तूने जितना भी वक्त
मुझ से पहले या मेरे साथ
अपने मन की तुम जानो
मुझे रहेगा सब कुछ याद

  *******

23 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14 -07-2019) को "ज़ालिमों से पुकार मत करना" (चर्चा अंक- 3396) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ....
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच में मेरी रचना को मान देने के लिए आभार अनीता जी !

      हटाएं
  2. वाह मीना जी प्रकृति के सुंदर समागम और स्मृतियाँ बहुत मोहक मन स्पर्शी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हृदय से स्नेहिल आभार कुसुम जी ! आपकी हौसला अफजाई सदैव रचना को मान व मुझे हर्ष प्रदान करती है ।

      हटाएं
  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना रविवार १४ जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. कैनवास सी रत्नगर्भा
    बिखरे अनगिनत गुलमोहर
    पाथ मॉर्निंग वाक का
    स्मृति मंजूषा की धरोहर... बेहतरीन रचना मीना जी

    जवाब देंहटाएं
  5. कैनवास सी रत्नगर्भा
    बिखरे अनगिनत गुलमोहर
    पाथ मॉर्निंग वाक का
    स्मृति मंजूषा की धरोहर... बहुत खूब मीना जी , बहुत दिनों बाद ऐसी रचना पढ़ने को मिली

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल सराहना से रचना सार्थकता मिली अलकनंदा जी !🙏

      हटाएं
  6. कभी कभी कुछ साथ बिताये पल जीवन बन जाते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सृजन को सार्थकता प्रदान करती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार नासवा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रकृति का बहुत ही सुंदर वर्णन, मीना दी।

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  9. बहुत सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है प्रकृति वर्णन को मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना से रचना को सार्थकता मिली संजय जी !
      हृदय से बहुत बहुत आभार ।

      हटाएं
  10. जीया तूने जितना भी वक्त
    मुझ से पहले या मेरे साथ
    अपने मन की तुम जानो
    मुझे रहेगा सब कुछ याद..... मन की तड़प, यादों के साथ और समय के पार!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. रचना को सार्थकता देती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार विश्वमोहन जी ।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"