गंगा का तट ~
बम भोले की गूंज
कावड़ यात्रा
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सावन मास~
शिव की आराधना
भक्ति में शक्ति ।
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सांझ की बेला~
वर्षा फुहार संग
गरम चाय ।
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श्रावणी तीज~
नवोढ़ा के हाथों में
मेंहदी रंग ।
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वर्षा फुहार~
तप्त वसुधा पर
ठंडी बयार ।
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काली बदली~
रिमझिम बरसी
माटी महकी ।
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सावन-झड़ी~
बाबुल का आंगन
थाती हिय की ।
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वाह! बहुत ही सुंदर हाइकु मिट्टी की महक़ लिए आदरणीय मीना दी.
जवाब देंहटाएंसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनुजा ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-07-2020) को "बदलेगा परिवेश" (चर्चा अंक-3763) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बुधवार की प्रस्तुति में सृजन सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आदरणीय🙏
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार सर ।
हटाएंसावन महीने की भीनी-भीनी खुशबु लिए मनभावन रचना मीना जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंहाइकु सृजन का मर्म स्पष्ट करती प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार सहित सादर नमन कामिनी जी ।
हटाएंवाह बेहद खूबसूरत हाइकु सखी
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु स्नेहिल आभार सखी ।
हटाएंसावन मास पर सभी हायकू बहुत ही लाजवाब
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार सुधा जी ।
हटाएंसुंदर हाइकु सृजन ऋतु और मौसम के अनुरूप।
जवाब देंहटाएंअभिनव।
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु सहृदय आभार कुसुम जी ।
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