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बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

"साथी"

                  


जीवन नहीं मधुमास साथी ।  

कठिन बहुत अभ्यास साथी ।।


सुख-दुख  दोनों जीवन पहलू ।

अब तक का इतिहास साथी ।।


छम-छम बरसें बूंदें घन से ।

मन में फिर भी प्यास साथी ।।


होती नहीं हर चाहत पूरी ।

मत बन इनका दास साथी ।।


गांव बसा यादों का मन में ।

उसमें अपना वास साथी ।।


***

【 चित्र - गूगल से साभार 】



एक बार तरही ग़ज़ल के बारे में पढ़ते हुए राहत इन्दौरी जी की कलम से निसृत - तू शब्दों का दास रे जोगी..पढ़ी जो बाद में -जोग कठिन अभ्यास रे जोगी..में ढलती चली गई . एक अकिंचन प्रयास मेरी ओर से ।

      

28 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आ. लोकेश नदीश जी ।

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  2. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सखी ।

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  3. वाह !लाजवाब दी ।
    हर बंद सराहना से परे ।

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार अनीता ।

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  4. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार शिवम् जी।

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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    उत्तर
    1. चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आ. दिलबाग सिंह जी ।

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  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. "पांच लिंकों का आनन्द" पर रचना साझा करने के लिए सादर आभार आ. रविंद्र सिंह जी ।

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  8. होती नहीं हर चाहत पूरी ।
    मत बन इनका दास साथी ।।

    –बेहद उम्दा भावाभिव्यक्ति

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    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार दी !

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  9. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सर!

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  10. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सर!

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  11. गांव बसा यादों का साथी
    उसमें अपना वास साथी।

    अप्रीतम अभिव्यक्ति

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  12. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सर!

    जवाब देंहटाएं
  13. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार ज्योति जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"