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बुधवार, 1 फ़रवरी 2023

“पुनरावृत्ति”

 

( Click by me )

कई बार बीते लम्हों की

 पुनरावृत्ति

समय की उस

 दहलीज़ पर 

ला खड़ा करती है 

इन्सान को 

जहाँ वह कल को आज के साथ जीता 

वक़्त के साथ 

तत्वचिन्तक बन जाता है 

अतीत के गर्भ में जब 

क्षोभ आँसुओं के सागर के साथ 

एकमेक हो

 बहते सोते सा उबल पड़ा था

तब धीरज ने धीरे से कहा -

“खारे सागर के उस पार मीठे पानी का दरिया बहता है”

लेकिन 

आज का सच कहता है कि-

“सबके दिलों में अपने -अपने “अचल” बसते हैं”

जो दरकते हैं

 तो तकलीफ़ों के साथ 

कोरी टीस का ही सृजन करते हैं ॥


***




20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 2 फरवरी 2023 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द की प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका हार्दिक आभार । सादर वन्दे !

      हटाएं
  2. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।सादर वन्दे ।

      हटाएं
  3. समय के साथ कुछ अनुभव हमें ऐसे दर्द से जोड़ते हैं जो जीवनभर कष्ट देता है।
    गहन अनुभूति

    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ।हार्दिक आभार अपर्णा जी ! सादर सस्नेह वन्दे ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।सादर वन्दे ।

      हटाएं
  5. हर मन के अपने दर्द होते हैं, और अपनी तरह से रिसते हैं, बहुत ही सार्थक तरीके से दर्द की व्याख्या की है आपने इस रचना में । बधाई मीना जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली।हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ! सादर सस्नेह वन्दे।

    जवाब देंहटाएं
  7. आज का सच कहता है कि-

    “सबके दिलों में अपने -अपने “अचल” बसते हैं”

    जो दरकते हैं

    तो तकलीफ़ों के साथ

    कोरी टीस का ही सृजन करते हैं ॥

    हृदय स्पर्शी सृजन मीना जी 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी स्नेहिल उपस्थिति से सृजन सार्थक हुआ ।हार्दिक आभार सहित सादर सस्नेह वन्दे कामिनी जी !

      हटाएं
  8. जो दरकते हैं

    तो तकलीफ़ों के साथ

    कोरी टीस का ही सृजन करते हैं ॥

    बहुत सुन्दर सृजन

    जवाब देंहटाएं
  9. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ।सादर वन्दे ।

    जवाब देंहटाएं
  10. जो है चेतन उसका दरकना तो ज़रूरी है ... जीवन रीत यही है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जीवन रीत कभी-कभी वहन करनी दुसाध्य बन जाया करती है । बाकी निभाना तो ज़रूरी है ही । बहुत बहुत आभार आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु । सादर वन्दे !

      हटाएं
  11. विष को भी जो अमृत बना ले प्रेम उसी कला का नाम है, यहाँ पीड़ा तो है पर उसमें भी मधुरता छिपी है

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी हृदयस्पर्शी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।हृदय से असीम आभार! सादर स्नेहिल नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  13. बीते लम्हों की पुनरावृति केवल यादों में संभव है | भावपूर्ण और मार्मिक सृजन प्रिय मीना जी |इसी से सृजन की असंख्य धाराएं फूटती हैं |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के हृदय से बहुत बहुत आभार प्रिय रेणु जी! सादर सस्नेह वन्दे!

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"