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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

"क्षणिकाएँ"

( 1 )
कागज़ और कलम का रिश्ता
जब भी जुड़ता है , जीवन को एक अर्थ देता है ।
कभी यह बड़ा नामचीन  तो कभी
बड़ी गुमनामी झेलता है ।
( 2 )
आज कल हर तरफ
मछली बाजार  सा सजा है ।
कान फोड़ू शोर कायम है
और काम की बात ही गायब है ।
   
( 3 )
मन ने आज कुछ नया करने की ठानी है ।
अर्द्ध चन्द्र को धरती पे ला  और उसकी नौका बना ।
उफनते समुन्दर में कश्ती चलानी है ।

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- "मीना भारद्वाज"