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मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

"त्रिवेणी"

                   (1)

कुदरत की आँखें‎ नम और मनस्थिति कुछ गमगीन है
एक और  दिवस बीता एक और युग अवसान हुआ ।

नश्वरता की प्रकृति  प्रकृति‎ को भी कहाँ भाती है ।।                     
                  (2) 

व्यक्तित्व का अंश बन जाती हैं कुछ‎ स्मृतियाँ
अहसासों को महसूसने में भी टीस ही देती हैं ।

बातों के जख्म आसानी से कहाँ भरा करते हैं ।।

                               XXXXX

10 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ‎ स्मृतियाँ
    अहसासों को महसूसने में भी टीस ही देती हैं !
    ...धारदार त्रिवेणी भावों का अनूठा समन्वयन त्रिवेणी की हर पंक्ति बहुत कुछ कहती हैं..... मीना जी


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  2. सदैव आपकी प्रतिक्रिया‎ हौंसला अफजाई करने वाली होती है . लेखन सराहना के लिए‎ बहुत बहुत‎ धन्यवाद संजय जी .

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार ११ दिसंबर २०१७ को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य"

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  4. "पाँच लिंकों का आनन्द‎" में मेरी रचना‎ को सम्मिलित कर मान देने के लिए‎ हृदयतल से आभार ध्रुव सिंह जी .

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  5. उत्तर
    1. ब्लॉग पर स्वागत आपका शुभा जी . रचना‎ सराहना के लिए‎ हृदय से आभार.

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  6. आदरणीय मीना जी -- आज आपकी तीन रचनायें पढ़ी |मन की भावुकता के कई रंग समेटे ये रचना अपने अपमे भावों का दस्तावेज़ है | बहुत ही भावपूर्ण रचना --- सादर सस्नेह शुभकामना |

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  7. बहुत बहुत‎ धन्यवाद रेणु जी स्नेहिल व उत्साह‎वर्धित प्रतिक्रिया‎ हेतु सस्नेह आभार .

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"