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शुक्रवार, 16 मार्च 2018

"लहर"

हरहराती  शोर मचाती
दूध सा उफान खाती
ताकत के गुरूर में उन्मुक्त
लहर ……,
नाहक गर्जन तर्जन करती हैं
शुक्ल पक्ष का दौर है
और समय भी परिवर्तन‎ शील
आज नही तो कल
बदल ही जाएगा
फिर तेरा यह अल्हड़ सा
उमड़ता-घुमड़ता गुरूर
अपने आप ढल ही जाएगा
तू अंश है सागर का
कुछ उससे  भी तो सीख….,
चाहे विकलता कितनी  भी
भरी हो सीने में
फिर भी धीर गंभीर है
उदारता  और विनम्रता
सीखने से बढ़ती है
पगली…….,
गहराई संग बंधी गम्भीरता
शील, क्षमा से ही सजती है
         XXXXX

24 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

    अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

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    उत्तर
    1. ''लोकतंत्र'' संवाद मंच के निमन्त्रण के लिए हार्दिक धन्यवाद ध्रुव सिंह जी. मंच से जुड़ना और साथी रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ना मेरे लिए हर्ष का विषय है.

      हटाएं
    2. बहुत सुन्दर....
      सागर से सीखो धीरता,गम्भीरता....
      सुन्दर सीख देती बेहतरीन रचना...
      वाह!!!

      हटाएं
    3. आल्हादित हो गया मन आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया‎ पाकर. बहुत बहुत आभार सुधा जी.

      हटाएं
  2. लहर सागर का ही अंश है जो समय के साथ सीख जाएगा धीर रहना गम्भीर रहना ...
    लहर के माध्यम से परिवर्तन का पाठ पढ़ती हुयी रचना ... बहुत कुछ कह जाती है ये रचना ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना के मर्म की सराहना करने के लिए‎ हृदयतल से आभार नासवा जी .

      हटाएं

  3. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 21मार्च 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी " पांच लिंकों का आनन्द में" के निमन्त्रण हेतु. आपके लिंक से जुड़ कर सदैव उत्साहवर्धन होता है.

      हटाएं



  4. प्रेरक

    गंभीर रचना .....कुछ उससे भी तो सीख….,
    चाहे विकलता कितनी भी
    भरी हो सीने में
    फिर भी धीर गंभीर है
    उदारता और विनम्रता
    सीखने से बढ़ती है
    पगली…….,
    गहराई संग बंधी गम्भीरता
    शील, क्षमा से ही सजती है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्वागत आपका "मंथन" पर .आपकी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार अरुण जी.

      हटाएं
  5. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उत्साहवर्धनात्मक प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार राजेश जी.

      हटाएं
  6. उदारता और विनम्रता
    सीखने से बढ़ती है
    पगली……क्या लिख गया ये पढ़ कर ही एहसास हुआ

    जवाब देंहटाएं
  7. हृदयतल से धन्यवाद संजय जी सराहनीय प्रतिक्रिया‎ हेतु .

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"