Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

शनिवार, 11 मई 2019

"आदमी"

कैसे कैसे रंग बदलता  आदमी ।
वक्त के साथ ढलता आदमी ।।

परिवर्तन में ये तो इतना माहिर ।
गिरगिट से होड़ करता आदमी ।।

स्याह रंग की पहनता पैहरन  ।
फिर भी उजली कहता आदमी ।।

आगे बढ़ने की होड़ मे देखो ।
अपनों पे पैर रखता  आदमी ।।

आश्रित सदा अमरबेल सा ।
खुद को बरगद समझता आदमी ।।

             xxxxx

24 टिप्‍पणियां:


  1. आगे बढ़ने की होड़ मे देखो ।
    अपनों पे पैर रखता आदमी ।।
    बिल्कुल सही, मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए स्नेहिल आभार ज्योति जी ।

      हटाएं
  2. आज के परिवेश के दर्शन कराती रचना

    जवाब देंहटाएं

  3. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-05-2019) को

    "मातृ दिवस"(चर्चा अंक- 3333)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "चर्चा मंच" पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार अनीता जी ।

      हटाएं
  4. आदमी की बदलती फितरत और गिरती इंसानियत पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति मीना जी।
    सहज और प्रवाह लिये असाधारण भावाभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल और स्नेहिल प्रतिक्रिया बेहतर लेखन हेतु मन में नव उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है कुसुम जी ..., सस्नेह आभार ।

      हटाएं
  5. आदमी तो आदमी है
    बदल जाना लाज़िमी है
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मीना जी..👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनमोल काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार श्वेता जी ।

      हटाएं
  6. आश्रित सदा अमरबेल सा
    खुद को बरगद समझता आदमी
    बहुत खूब,,,,, मीना जी ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्नेहिल अभिवादन सहित बहुत बहुत आभार कामिनी जी ।

      हटाएं
  7. मीना जी कृपया मेरे मेल पर मुझसे संपर्क करें...
    Swetajsr2014@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह ...
    हर शेर लाजवाब और आदमी की असलियत को बाखूबी रखता हुआ ...
    समय के साथ क्या से क्या हो गया आदमी ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली नासवा जी ।
      बहुत बहुत आभार आपका ।

      हटाएं
  9. उत्साहवर्धक लाजवाब शेर के लिए आभार.....शब्दों के अर्थ के साथ आदमी की असलियत पर बहुत सुंदर संदेश देती रचना !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार संजय जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"