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सोमवार, 3 अगस्त 2020

"चिट्ठी"

मेरी बातें तुम तक पहुँचे, 
एक ऐसा पैगाम लिखूं ।
फिर सोचा एक बार यह  ,
कि चिट्ठी तेरे नाम लिखूं ।।

कितने पन्ने लिख लिख फाड़े ,
मन भावन कुछ लिखा नहीं ।
भा जाये  तुम को जो बातें ,
लिखना ऐसा हुआ नहीं ।।

दिन-दिन होती भारी कंबली ,
भोर लिखूं या सांझ लिखूं ।।
फिर सोचा एक बार यह  ,
कि चिट्ठी तेरे नाम लिखूं ।।

पलता रहता उर में संशय ,
रिक्त-रिक्त जीवन लगता ।
शून्य जगत तुम बिन जैसे ,
खारे सागर सा बहता ।।

चक्रव्यूह सी फेरी मन की ,
अटल कौन से भाव लिखूं ।
 फिर सोचा एक बार यह  ,
कि चिट्ठी तेरे नाम लिखूं ।।

🍁🍁🍁

【चित्र : गूगल से साभार】







18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर सरस भावों से गूँथी मनभावन अभिव्यक्ति।बहुत कुछ होतो है अंतस में कहने को कह कहा पाते है। समय अपनी गति से निकल जाता है।लाजवाब सृजन दी बहुत ही सराहनीय।
    सादर

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    उत्तर
    1. सृजन को गति और सार्थकता प्रदान करती सुन्दर सराहनीय समीक्षात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता ।

      हटाएं
  2. दिन-दिन होती भारी कंबली ,
    भोर लिखूं या सांझ लिखूं ।।
    फिर सोचा एक बार यह ,
    कि चिट्ठी तेरे नाम लिखूं ।।
    बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना प्रिय मीना जी | मन की पाती लिखना इतना आसान कहाँ होता है वो भी किसी अपने विशेष के नाम ? सुंदर रचना के लिए आपको हार्दिक शुभकामनाएं और स्नेह |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता और मान मिला रेणु बहन !उत्साहवर्धन हेतु स्नेहिल आभार।

      हटाएं
  3. सुन्दर!! मन के भावों को अभिव्यक्त करते हुए जो अक्सर मनः स्थिति होती है उसका बहुत ही सुंदर वर्णन किया है, मैम आपने...
    कितने पन्ने लिख लिख फाड़े ,
    मन भावन कुछ लिखा नहीं ।
    भा जाये तुम को जो बातें ,
    लिखना ऐसा हुआ नहीं ।।
    चिट्ठियों को पाकर उन्हें पढ़ने का अपना अलग आनंद होता था... अब तो खैर यह बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं.... लेकिन हम अपनी बात किसी भी माध्यम से कहें मन में यह स्थिति तो बनी ही रहती है......सुंदर सृजन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सच कहा विकास जी चिट्ठियों का जमाना नही रहा अब ..,फाइलों में रखी चिट्ठियाँ पढ़ते हुए सदा यही लगा कि चिट्ठियों के जमाने से सभी बहुत अच्छे राइटर हुआ करते
      थे । बहुत बहुत आभार आपका सृजन सार्थक हुआ ।

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  4. बहुत सुन्दर।
    राम मन्दिर के शिलान्यास की बधाई हो।

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    उत्तर
    1. हार्दिक आभार सर . आपको भी राम मंदिर शिलान्यास की बहुत बहुत बधाई !

      हटाएं
  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 6.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    http://charchamanch.blogspot.com
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना साझा करने के लिए बहुत बहुत आभार दिलबागसिंह जी !

      हटाएं
  6. मन के भावों का सुंदर वर्णन किया है,मीना जी
    कितने पन्ने लिख लिख फाड़े ,
    मन भावन कुछ लिखा नहीं ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत समय के बाद आपकी अनमोल प्रतिक्रिया मिली ...लेखन का मान बढ़ा . हार्दिक आभार संजय जी ।

      हटाएं
  7. मन के भाव सफे पे उतारना ... चिट्ठी लिखना ...
    ये एक ऐसी कल्पना है जो गुदगुदी का भाव पैदा करती है मन में ....

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी !

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"