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शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

"गोधूलि संग हुआ अंधेरा"

गोधूलि संग हुआ अंधेरा

तारों ने  जादू बिखेरा


चाँदनी को साथ ले कर

नभ मंडल में चंद्र चितेरा


विहग की टहकार मध्यम

टहनियों के मध्य बसेरा


नीड़ की रक्षा में व्याकुल

 आए ना कोई लुटेरा

 

रोज के चुग्गे की  चिन्ता

कब होगा सुख का सवेरा


***

【चित्र~गूगल से साभार】

36 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 27 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. सांध्य दैनिक मुखरित मौन में रचना साझा करने हेतु सादर आभार यशोदा जी.

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  2. उत्तर
    1. सराहना भरी प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार जितेन्द्र जी।

      हटाएं
  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२८-११-२०२०) को 'दर्पण दर्शन'(चर्चा अंक- ३८९९ ) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रविष्टि् के लिंक को चर्चा मंच पर साझा करने के लिए आपका स्नेहिल आभार अनीता ।

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार सर ।

      हटाएं
  5. हृदयग्राही काव्यपंक्तियों हेतु साधुवाद 🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार वर्षा जी !
      सादर नमस्कार🌹

      हटाएं
  6. गोधूलि संग हुआ अंधेरा
    तारों ने जादू बिखेरा



    चाँदनी को साथ ले कर
    नभ मंडल में चंद्र चितेरा...

    प्रकृति के सौंदर्य की सुंदर छटा दिखाती बहुत सुंदर रचना !!!
    हार्दिक बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार शरद जी !

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  7. सुन्दर भावनाओं से प्रस्फुटित कविता, गोधूलि को और अधिक सुन्दर बनाती है, नमन सह।

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार सर । सादर नमन !

      हटाएं
  8. नीड़ की रक्षा में व्याकुल
    आए ना कोई लुटेरा
    रोज के चुग्गे की चिन्ता
    कब होगा सुख का सवेरा
    वाह👌👌 बहुत सुंदर काव्य चित्र जो मन को छू जाता है। हार्दिक शुभकामनाएं प्रिय मीना जी🙏🙏👌👌

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    उत्तर
    1. आपकी सुंदर टिप्पणी से इस रचना की सार्थकता को विस्तार मिला है। हृदय से आभार प्रिय रेणु जी 🙏🌹🙏

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  9. दिल को छुति बहुत ही सुंदर रचना, मीना दी।

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार ज्योति जी।

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  10. उम्मीद अगर बची रहे तो सुख का सवेरा जल्द ही होगा।

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    उत्तर
    1. सारगर्भित प्रतिक्रिया से सजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार आ. यशवन्त जी ।

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  11. रोज के चुग्गे की चिन्ता
    कब होगा सुख का सवेरा
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर अप्रतिम लाजवाब सृजन।

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  12. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सुधा जी!

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत सुंदर सृजन मीना जी मन में आह्लाद भरता सृजन।

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  14. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अमृता जी।

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  15. सांझ के सुनहरे पैन को बिखेर दिया इन शब्दों में ...
    बहुर सुन्दर ...

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार नासवा जी.

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"