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बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

"त्रिवेणी"

                 



चलने का फैसला ले लिया आनन-फानन  ..

एक बार मुड़ कर भी देख लिया होता ।


 कैसे दरकता है नेह का पुल ।।


***


सूरत और सीरत में एक समान ..

और विमर्श में अहम् भाव भी  ।


अर्से के बाद चुम्बक के समान छोर मिले है।।


***


नीरवता में धड़कनों की धमक ..

खाली बर्तन सी बजती  है ।


तुम्हारी अनुपस्थिति बहुत खलती है ।


***


बाज़ारों में आगे बढ़ने की होड़ में.. 

गुणवत्ता की जगह प्रतियोगिता आ गई।


आए भी क्यों ना.., वैश्वीकरण का जमाना है ।



42 टिप्‍पणियां:

  1. अभिव्यक्ति का ये रूप बहुत सुन्दर है। बढ़िया प्रस्तुति।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार वीरेन्द्र जी!

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शिवम् जी!

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2028...कलेंडर पत्र-पत्रिकाओं में सिमट गया बसंत...) पर गुरुवार 04 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को साझा करने के लिए सादर आभार रवींद्र सिंह जी!

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मनोज जी!

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  6. बहुत सुंदर त्रिवेणियां मीना जी।
    त्रिवेणी के प्रतिमान पर खरी उतरती।
    भाव सार्थक सुंदर।
    सस्नेह।

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    1. दिल से आभार कुसुम जी! उत्साहवर्धन करती
      आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा। स्नेह बनाए रखें , हार्दिक आभार।

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  7. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (०४-०२-२०२१) को 'जन्मदिन पर' (चर्चा अंक-३९६७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने हेतु बहुत बहुत आभार अनीता जी!

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  8. वाह!
    सराहनीय प्रस्तुति।
    सादर।

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    1. सराहना भरे वचनों के लिए हार्दिक आभार सधु चन्द्र जी!

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना हेतु सादर आभार प्रिय दी 🙏🙏

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  10. बाज़ारों में आगे बढ़ने की होड़ में..
    गुणवत्ता की जगह प्रतियोगिता आ गई।

    सटीक, सुंदर रचना 🌹🙏🌹

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    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखनी को सार्थकता मिली...हार्दिक आभार शरद जी🙏🌹🙏

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  11. नीरवता में धड़कनों की धमक ..

    खाली बर्तन सी बजती है ।


    तुम्हारी अनुपस्थिति बहुत खलती है ।

    क्या बात है !!बहुत खूब मीना जी ,दिल को छूती पंक्तियाँ ,सादर नमन

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    1. आपकी हृदयस्पर्शी सराहना से लेखन सार्थक हुआ कामिनी जी !असीम आभार ।

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  12. जी हाँ मीना जी, वैश्वीकरण का ज़माना है जिसमें सच्चाई और जज़्बात दोनों को ही ढूंढ़ना बड़ा मुश्किल है ।

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    1. लेखन को सार्थकता देती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जितेन्द्र जी!

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    1. उत्साहवर्धन करती सराहना हेतु सादर आभार सर!

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  14. चलने का फैसला ले लिया आनन-फानन ..

    एक बार मुड़ कर भी देख लिया होता ।


    कैसे दरकता है नेह का पुल ।।

    वाह!!!
    जाने वाले को किसी दरकन की परवाह कहाँ
    बहुत ही लाजवाब त्रिवेणी।

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    1. आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखनी को सार्थकता मिली...हार्दिक आभार सुधा जी!

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  15. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार उर्मिला सिंह जी!

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  16. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

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  17. पावन त्रिवेणी में खूब डुबकी लगवाया है । अति सुन्दर ।

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया पा कर हर्षित हूँ । बहुत बहुत आभार अमृता जी!

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  18. कमाल की रचना, बहुत ही सुंदर , बधाई हो मीना जी नमन

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
      सस्नेहाभिवादन🙏

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  19. सूरत और सीरत में एक समान ..
    और विमर्श में अहम् भाव भी ।
    अर्से के बाद चुम्बक के समान छोर मिले है।।
    वाह ! कमाल के विचार, कमाल की अभिव्यक्ति।

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  20. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु स्नेहिल आभार मीना जी!

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"