उसने कहा था---
मैं आत्मा हूँ उसकी
मेरे से ही उसकी
सम्पूर्णता है
मैं जीये जा रही हूँ
अपनी अपूर्णता के साथ
ताकि…
मैं उसकी सम्पूर्णता बनी रहूँ
---
बाल्टी भर
धूप ढकी रखी है
एक कोने में…
अंधेरा घिर आए तो
छिड़क लेना…
रोशनी में...
मन का आंगन हँस देगा
---
देख कर भी किसी की
अनदेखी करना
भले ही …
किसी की नजरों में
सभ्यता का दायरा होगा
छलना को तो यह...
अपना कौशल ही लगता है
***
बहुत प्रभावी क्षणिकाएं मीना जी । अरसे बाद क्षणिकाएं पढ़ीं मैंने । आभारी हूँ आपका ।
जवाब देंहटाएंआपकी मान भरी प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार जितेंद्र जी!
हटाएं---
जवाब देंहटाएंदेख कर भी किसी की
अनदेखी करना
भले ही …
किसी की नजरों में
सभ्यता का दायरा होगा
छलना को तो यह...
अपना कौशल ही लगता है।
बहुत खूब। शब्दों की जादूगरी।
आपकी स्नेहिल उपस्थिति और सराहना से सृजन सार्थक हुआ..आभारी हूँ मीना जी!
हटाएंसुन्दर भाषा शैली से सजी सँवरी क्षणिकाएँ।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करने हेतु सादर आभार सर!
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
चर्चा मंच पर प्रस्तुति साझा करने हेतु सादर आभार दिलबाग सिंह जी!
हटाएंबहुत सुंदर 🌻
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी!
हटाएंवाह!गज़ब दी....
जवाब देंहटाएंबस वाह!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु स्नेहिल आभार अनीता जी!
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2036...कुछ देर जागकर हम आज भी सो रहे हैं...) पर गुरुवार 11 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"पांच लिंकों का आनन्द" में सृजन को साझा करने हेतु सादर आभार रवीन्द्र सिंह जी!
हटाएंअसीम सौंदर्य से परिपूर्ण क्षणिकाएँ । तरंगों का हिलोरा ... अति सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु स्नेहिल आभार अमृता जी!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन करने हेतु सादर आभार सर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिकाएं, मीना दी।
जवाब देंहटाएंसराहना भरी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
हटाएंवाह!मीना जी ,बहुत ही खूबसूरत क्षणिकाएं हैं ।सभी एक से बढकर एक ।
जवाब देंहटाएंबालटी भर धूप ढकी रखी है एक कोने में ..वाह !!
आपकी स्नेहिल उपस्थिति और सराहना से सृजन सार्थक हुआ..आभारी हूँ शुभा जी!
हटाएंदेख कर भी किसी की
जवाब देंहटाएंअनदेखी करना
भले ही …
किसी की नजरों में
सभ्यता का दायरा होगा
छलना को तो यह...
अपना कौशल ही लगता है
बेहतरीन क्षणिकाएं
आपका हार्दिक स्वागत सरिता जी एवं हार्दिक आभार सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु ।
हटाएंकौशल और चालाकी में कई बार थोडा सा फर्क होता है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिकाएं हैं सभी ...
सत्य कथन नासवा जी ..चालाकी में निपुण भाव के कारण अक्सर सरल हृदय को ठेस ही पहुँचती है । आपकी प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला । हृदय से असीम आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत क्षणिकाएं हैं मीना जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुज !
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