Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

मंगलवार, 3 अगस्त 2021

"सफ़र"




पल-पल के

 हिसाब से

 तय करती  है

अपना सफ़र…

समय ही कहाँ  है

 इसके पास

चोटी या जूड़ा बनाने का...  

बाल कटने के बाद 

 पोनी टेल भी

 अच्छी ही लगती है

खंजन-नयन

 देखने दिखाने की

फुर्सत किसके पास है

'अकॉर्डिंग टू फेस' गॉगल्स

काफी है खूबसूरती में 

चार चाँद की खातिर…

नन्हे गुड्डे या फिर गुड़िया को

छोड़ती हुई 'डे केयर' में

भागती सी

खींच लेती है अपनी

 पोनी का रबरबैंड और

डाल लेती है

 कलाई में कंगन सा...

कंघी की जगह तेजी से 

फिराती बालों में अंगुलियाँ

करती है रोड-क्रॉस

समेटे कंधे के बैग में

 संधान रूपी तीर

अब इतना करने के बाद

भला...

कौन रोक पाएगा इसको 

अर्जुन की मानिंद

करती दरकिनार

बाधाओं को

ये तो चल पड़ी है

भेदने अपना लक्ष्य 


  ***

【चित्र:-गूगल से साभार】




26 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(०४-०८-२०२१) को
    'कैसे बचे यहाँ गौरय्या!'(चर्चा अंक-४१४६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर सृजन को चर्चा में सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार अनीता जी !

      हटाएं
  2. लक्ष्य भेदने की प्रक्रिया में एक स्त्री को क्या क्या बाधाएँ पर करनी पड़ती हैं बखूबी लिखा है । लोग इसे उसका फैशन में लेते हैं । और वो शायद वक़्त चुरा रही होती है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थक करती सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार मैम 🙏🌹🙏

      हटाएं
  3. फैशन समझो या आधुनिकता
    जरूरत के मुताबिक
    स्वयं को साँचें में ढालती स्त्रियाँ,
    जीवन की किताब में नित उपलब्धियाँ
    अस्तित्व सार्थक करती
    विजय ध्वज धारती स्त्रियाँ।
    ----
    बहुत सारगर्भित शब्द चित्र दी।

    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वाह!!!
      अत्यंत सुन्दर सराहना भरी कविता ने मेरे लेखन को सार्थकता भरा मान दिया । हार्दिक आभार. श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे!

      हटाएं
  4. वाकई कोई नहीं रोक पाएगा...लक्ष्य पर भी नजर है और मन में भी उल्लास। खूबसूरत रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धित करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संदीप जी !

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर ।

      हटाएं
  6. आज की नारी समय से होड़ ले रही है , सच कौन रोकेगा भला, लक्ष्य भेदने से ।
    सार्थक यथार्थ दर्शाता सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थक करती सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कुसुम जी🙏🌹🙏

      हटाएं
  7. कोई नहीं रोक सकता। आज की नारी आगे निकल रही है जिसमें कोई बुराई नहीं। सार्थक सृजन के लिए आपको ढेरों शुभकामनायें। सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धित करती सराहना सम्पन्न सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार वीरेंद्र जी !

      हटाएं
  8. चोटी या जूड़ा बनाने का...

    बाल कटने के बाद

    पोनी टेल भी

    अच्छी ही लगती है

    खंजन-नयन

    देखने दिखाने की

    फुर्सत किसके पास है

    'अकॉर्डिंग टू फेस' गॉगल्स

    काफी है खूबसूरती में

    चार चाँद की खातिर…कितना सुंदर और रोचक संदर्भ, जो कि आज की कामकाजी महिलाओं के जीवन का अंग है आपने बखूबी बयां किया,आपकी रचना का संदेश भी बहुत सार्थक है, बहुत शुभकामनाएं आपको आदरणीय मीना जी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थक करती आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन को मान मिला । हार्दिक आभार जिज्ञासा जी । सप्रेम वन्दे ।

      हटाएं
  9. और लक्ष्य बखूबी से भेद भी देती है पूरे अल्हड़पन से । अति सुन्दर सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी स्नेहिल उपस्थिति सदैव मेरे सृजन को मान और मुझको अभिभूत करती है । हार्दिक आभार 🙏🌹🙏

      हटाएं
  10. जरूरत के मुताबिक स्त्रियाँ स्वयं को ढाल ही लेती है। आज की नारी का सुंदर चित्रण किया है आपने,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थक करती आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन को मान मिला । हार्दिक आभार कामिनी जी । सप्रेम वन्दे ।

      हटाएं
  11. बहुत खूब ... सदा से कर्म पथ पर अग्रसर है नारी ... चाहे आज को हो या पुराने समय की नारी ... ये सृष्टि भी तो एक नारी है जो सदा चलायमान है बिना तुके बिना थके ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सृजन को सार्थक करती हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया हेतु असीम आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  12. आज की नारी के लिए सौंदर्य के आयाम बदल गए हैं । उसने बदलाव को स्वीकार कर लिया है सिर्फ अपनी सुविधा, सहूलियत व समय बचाने के लिए। इस बदलाव को न्याय दिलाती बहुत अच्छी रचना।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली ...हार्दिक आभार मीना जी।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"