Followers

Copyright

Copyright © 2023 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

मंगलवार, 29 मार्च 2022

न जाने क्यों…

 


न जाने क्यों…

तुम्हारी याद मेरे  मन के

 दरवाज़े पर

पछुआ पवन सी

दस्तक देने लगी है 

तुम्हारे घर का आंगन

नींद में भी

मेरी स्मृतियों में 

जीवन्त हो उठता है


मैंने कभी…

तुम्हारे घर में कोई 

पूजाघर तो नहीं देखा 

लेकिन

उपले थापते वक़्त 

तुम्हारे कंठ से

गुड़ की मिठास से भरे

मांड राग में 

भजन बहुत सुने हैं 


न जाने क्यों …

वक़्त के साथ अब सब कुछ 

बदल सा गया है

 मगर

मेरे लिए तुम्हारे 

घर का आंगन 

स्वप्न में सजीव हो कर

पूजाघर जैसा ही बन गया है


🍁🍁🍁

20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सर!

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 30 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में “न जाने क्यों…” को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार पम्मी जी ! सादर ।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आभार मैम !

      हटाएं
  4. वाह क्‍या बात कही ...कि..उपले थापते वक़्त

    तुम्हारे कंठ से

    गुड़ की मिठास से भरे

    मांड राग में

    भजन बहुत सुने हैं...वाह ..अद्भुत मीना जी

    जवाब देंहटाएं
  5. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अलकनन्दा जी !

    जवाब देंहटाएं
  6. कमाल के बिंम्ब
    सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के सादर आभार सर !

      हटाएं
  7. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार भारती जी!

      हटाएं
  8. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार लोकेष्णा जी !

      हटाएं
  9. न जाने क्यों…

    तुम्हारी याद मेरे मन के

    दरवाज़े पर

    पछुआ पवन सी

    दस्तक देने लगी है

    कुछ यादें पछुआ पवन सी ही दर्द देती है फिर भी भली लगती है,हृदयस्पर्शी सृजन मीना जी,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी ! सस्नेह सादर नमस्कार !

      हटाएं
  10. बहुत सुंदर भाव भरे दृश्यों का संयोजन किया है आपने ।
    बहुत बधाई मीना जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।

      हटाएं
  11. सुंदर भाव भरे दृश्यों पर लिखे ख़याल बहुत सुन्दर प्रस्तुति 👍

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज !

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"