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शनिवार, 23 अप्रैल 2022

“त्रिवेणी”



दूध की धार सी ..,निर्मल आसमान में..

कभी-कभी ही दिखती है आकाश गंगा ।


सुकून के पल उससे होड़ करना सीख गए हैं ॥

🍁


तुम आए और बिना द्वार पर दस्तक दिये…

खामोशी से ही अलविदा कह लौट भी गए  ।


रुकते तो जीवन राग सप्त सुरों में गा उठता ॥

🍁


गलत पते पर भेजी शुभेच्छाएं कभी-कभी…

 सही जगह भी पहुँच जाया करती है ।


सच्चे दिल की दुआ कभी असफल नहीं होती ॥

🍁

24 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आ. ओंकार सर 🙏

      हटाएं
  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-4-22) को "23 अप्रैल-पुस्तक दिवस"(चर्चा अंक-4409) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  3. मंच पर सृजन साझा करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. प्राकृतिक सौंदर्य को बहुत ही सहज रूप से प्रस्तुत किया है आदरणीय मीणा जी

    जवाब देंहटाएं
  5. गलत पते पर भेजी शुभेच्छाएं कभी-कभी…

    सही जगह भी पहुँच जाया करती है ।



    सच्चे दिल की दुआ कभी असफल नहीं होती ॥

    वखह!!!
    एक से बढ़कर एक त्रिवेणी..
    बहुत सुन्दर, सार्थक एवं लाजवाब।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी!

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  6. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!

      हटाएं

  7. तुम आए और बिना द्वार पर दस्तक दिये…

    खामोशी से ही अलविदा कह लौट भी गए ।



    रुकते तो जीवन राग सप्त सुरों में गा उठता ॥..
    वाह ! कितने सुंदर अहसास।
    बेहतरीन रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार जिज्ञासा जी !

      हटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर सृजन कोमल भाव लिए। शीतल चाँदनी सा बिखरता।
    सादर

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    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी!

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  9. सच्चाई से की गई प्रार्थना हमेशा स्वीकार होती है

    बहुत सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  10. सृजन को सार्थकता प्रदान करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति खरे सर !

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  11. एक से बढ़कर एक त्रिवेणी....कोमल भाव

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  12. त्रिवेणी पर आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनुज!

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  13. आपके कथ्यों और संप्रेषण में एक अलग ही खिंचाव होता है जो कुछ देर के लिए मौन में ले जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  14. लिखना सफल हुआ अमृता जी ! सस्नेह वन्दे !!!

    जवाब देंहटाएं
  15. उत्तर
    1. हार्दिक आभार सहित आपका “मंथन” पर स्वागत है ।सादर…।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"