सुख- दुख में साथी सच्चा
सखा मेरे बालपन का
व्यथा में भरता मधुरता
जीवन में रस घोलता है
मन विहग कब बोलता है
जागे हृदय की सुप्तता
बिखरती बन रिक्तता
उड़ने की ख़ातिर विकल सा
अपने परों को तौलता है
मन विहग कब बोलता है
शून्य जगती तल है सारा
तृष्णा में बंध मारा-मारा
रेत के सागर में मीठे
जल की आस मे दौड़ता है
मन विहग कब बोलता है
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 13 जून 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ! सादर…,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 जून 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ! सादर…,
हटाएंमन विहग कब बोलता है ...... मन तो मन ही मन गुनता है , मौन हो मन की सुनता है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भवपूर्ण रचना ।
आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ . दीदी ! सादर आभार सहित सस्नेह वन्दे !
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(14-6-22) को "वो तो सूरज है"(चर्चा अंक-4461) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
हटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ , सादर आभार विश्वमोहन जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति, मीना दी।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ..,हार्दिक आभार ज्योति बहन !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सराहनीय अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ..,हार्दिक जिज्ञासा जी !
जवाब देंहटाएंसहज व सरल भाव से कहा सारगर्भित सृजन।
जवाब देंहटाएंसराहनीय।
सादर
आपकी सराहना से सृजन को सार्थकता मिली.., हार्दिक आभार अनीता जी ! सस्नेह.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना से सृजन को सार्थकता मिली.., हार्दिक आभार भारती जी !
जवाब देंहटाएंसराहनीय अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका 🙏 सादर नमन!
हटाएंसराहनीय
जवाब देंहटाएंसराहना हेतु हार्दिक आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर, भावभीना काव्य-सृजन किया है आपने मीना जी।
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर सार्थक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ जितेन्द्र जी । आपकी प्रतिक्रियाएँ सदा लेखन का मान बढ़ाती हुई उत्साहवर्धन करती है ।
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