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सोमवार, 13 जून 2022

“मन विहग”


सुख- दुख में साथी सच्चा

सखा मेरे बालपन का

व्यथा में भरता मधुरता

जीवन में रस घोलता है 


मन विहग कब बोलता है 


जागे हृदय की सुप्तता

बिखरती बन रिक्तता

उड़ने की ख़ातिर विकल सा

अपने परों को तौलता है 


मन विहग कब बोलता है 


शून्य जगती तल है सारा

तृष्णा में बंध मारा-मारा

रेत के सागर में मीठे

जल की आस मे दौड़ता है 


मन विहग कब बोलता है 


 ***

27 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 13 जून 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ! सादर…,

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 जून 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पाँच लिंकों का आनन्द में सृजन सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ! सादर…,

      हटाएं
  4. मन विहग कब बोलता है ...... मन तो मन ही मन गुनता है , मौन हो मन की सुनता है ।
    सुंदर भवपूर्ण रचना ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ आ . दीदी ! सादर आभार सहित सस्नेह वन्दे !

      हटाएं
  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(14-6-22) को "वो तो सूरज है"(चर्चा अंक-4461) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच की चर्चा में मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !

      हटाएं
  6. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ , सादर आभार विश्वमोहन जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, मीना दी।

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  8. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ..,हार्दिक आभार ज्योति बहन !

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  9. आपकी सराहना से सृजन सार्थक हुआ..,हार्दिक जिज्ञासा जी !

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  10. सहज व सरल भाव से कहा सारगर्भित सृजन।
    सराहनीय।
    सादर

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  11. आपकी सराहना से सृजन को सार्थकता मिली.., हार्दिक आभार अनीता जी ! सस्नेह.

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  12. आपकी सराहना से सृजन को सार्थकता मिली.., हार्दिक आभार भारती जी !

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  13. बहुत सुंदर, भावभीना काव्य-सृजन किया है आपने मीना जी।

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  14. आपकी सुन्दर सार्थक प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ जितेन्द्र जी । आपकी प्रतिक्रियाएँ सदा लेखन का मान बढ़ाती हुई उत्साहवर्धन करती है ।

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  15. I always spent my half an hour to read this webpage’s content every day along with a cup of coffee.

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"